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पंचायत चुनाव में बगावत के डर से कांग्रेस ने जारी नहीं की उम्मीदवारों की सूची, भितरघात पड़ सकता है भारी - कांग्रेस की सूची

राजस्थान पंचायत चुनाव में नामांकन का आज यानी 16 अगस्त को अंतिम दिन था. बावजूद इसके, कांग्रेस ने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की. ऐसा माना जा रहा है कि बगावत के डर से नामांकन के अंतिम दिन सीधे एसडीएम कार्यालय में प्रत्याशियों के नाम के सिंबल भेजे गए, लेकिन आगे कया ? यहां समझिये पूरा गणित ...

Panchayat elections in six districts
कांग्रेस ने जारी नहीं की उम्मीदवारों की सूची...

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Published : Aug 16, 2021, 10:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान में 6 जिलों में होने जा रहे जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के लिए नामांकन का आज सोमवार को अंतिम दिन था. नामांकन के अंतिम दिन जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की गई, तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने 2020 में हुए 20 जिलों के पंचायती राज चुनाव की तरह इस बार भी पार्टी सिंबल किसे दिए जा रहे हैं, इसकी सूची सार्वजनिक नहीं की.

कांग्रेस पार्टी की ओर से जिन प्रत्याशियों को पार्टी के सिंबल दिए गए, उन्हें पहले फोन के माध्यम से नॉमिनेशन दाखिल करने को कहा गया और सिंबल विधायकों की ओर से सीधे नामांकन दाखिल करने वाले एसडीएम कार्यालय में पहुंचा दिए गए. इससे अंतिम समय तक बागी प्रत्याशियों को यह पता नहीं लगा कि पार्टी ने सिंबल किसे दिया है.

कांग्रेस ने जारी नहीं की उम्मीदवारों की सूची...

बगावत का था डर, लेकिन बागियों ने बिना सिंबल के ही कर दिए नामांकन दाखिल : दरअसल, पंचायती राज चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को नामांकन दाखिल करते समय सिंबल की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि पार्टी की ओर से सिंबल नामांकन दाखिल करने के अंतिम समय तक नामांकन कार्यालय में पहुंचाना होता है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने नामांकन दाखिल करने के अंतिम समय तक ज्यादातर जगह सिंबल जारी नहीं किए, जिससे कि प्रत्याशियों के साथ ही पार्टी से बगावत कर रहे सभी प्रत्याशियों ने भी अपने नामांकन दाखिल कर दिए. अब क्योंकि पार्टी से टिकट चाहने वाले सभी प्रत्याशियों ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए थे तो ऐसे में अब पार्टी की ओर से बाकी प्रत्याशियों को नामांकन वापस लेने के लिए मान मनौव्वलकरनी होगी.

उठाना पड़ सकता है भितरघात का नुकसान : 6 जिलों में 9 विधानसभा ऐसी है जहां कांग्रेस पार्टी को अपनी ही पार्टी के उन नेताओं का भितरघात झेलना पड़ सकता है, जो अपने ऊपर निर्दलीय, बसपा से कांग्रेस में आए या समर्थित दलों के विधायकों को सिंबल देने के अधिकार से नाराज हैं.

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दरअसल, इन 6 जिलों में पांच विधानसभा दूदू, बस्सी, शाहपुरा, महुआ, सिरोही और गंगापुर सिटी में निर्दलीय विधायक हैं, तो नगर और नदबई में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक हैं. वहीं, भरतपुर विधानसभा से विधायक आरएलडी पार्टी से आते हैं. ऐसे में इन 9 में से 8 विधानसभा में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे नेताओं ने पहले ही पार्टी को इस बात से आगाह कर दिया था कि विधानसभा में पार्टी ने चुनाव का टिकट उन्हें दिया था, लेकिन वर्तमान विधायकों की बगावत के चलते वह चुनाव हारे.

ऐसे में अब पंचायती राज चुनाव में टिकट वितरण की जिम्मेदारी निर्दलीयों या पार्टी समर्थक विधायकों की जगह उन्हें दी जाए, लेकिन सिंबल देने की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी की ओर से विधायकों को ही दी गई. जिससे कि 2018 में पार्टी के प्रत्याशी रहे नेता नाराज हो गए हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इन नेताओं ने अपने समर्थक नेताओं को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार दिया है और इस भितरघात का नुकसान कांग्रेस पार्टी को कम से कम इन 9 विधानसभा में उठाना पड़ सकता है.

कई जगह पार्टी प्रत्याशी ज्यादा होने के चलते कांग्रेस ने नहीं दिया किसी को भी सिंबल : राजस्थान में भरतपुर जिले कि कई पंचायत समितियों और जिला परिषद सदस्यों के साथ ही अन्य जिलों में भी ऐसी बातें सामने आई थीं कि चुनाव लड़ने वाले और जिताऊ प्रत्याशी ज्यादा हैं. ऐसे में किसी एक प्रत्याशी को पार्टी मैदान में नहीं उतार सकती. ऐसी परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी ने बीच का रास्ता निकालते हुए यह निर्णय लिया कि उन सीटों पर किसी को भी पार्टी का सिंबल नहीं दिया जाए और जो भी कांग्रेसी निर्दलीय जीत कर आए उसी को पार्टी में शामिल कर लिया जाए.

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