जयपुर. विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर गहलोत सरकार और राजभवन में हुई टकराव की स्थिति के बीच शुक्रवार देर रात कैबिनेट की बैठक रखी गई. जिसमें विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
शुक्रवार की शाम राजभवन में धरना-प्रदर्शन के बाद सीएम आवास पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक की गई थी. जो करीब सवा दो घंटे तक चली. बैठक में राज्यपाल की ओर से पूछे गए 6 बिंदुओं के जवाब पर भी चर्चा की गई. हालांकि बैठक खत्म होने के बाद सरकार के किसी मंत्री ने मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने राज्यपाल के सवालों के जवाब तैयार कर लिए हैं और वो आज फिर से जवाब पेश करने के साथ-साथ विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर सकती है.
यह भी पढ़ें-राजस्थान के सियासी महासंग्राम में राहुल गांधी की एंट्री, Tweet कर कही ये बड़ी बात...
कांग्रेस का प्रदर्शन आज
देर रात प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर बताया कि शनिवार के दिन कांग्रेस सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी. इस दौरान पांच सदस्य जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करेंगे. प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष मुमताज मसीह ने भी ट्वीट के जरिए कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर जानकारी दी है.
कांग्रेस के बयान पर राज्यपाल ने जताई आपत्ति
होटल फेयरमाउंट से राजभवन की ओर कूच करने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया में ये बयान दिया था कि वह विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राजभवन इसकी इजाजत नहीं दे रहा है. राजभवन संविधान के हिसाब से निर्णय ले. अगर पूरे प्रदेश की जनता राजभवन को घेरने आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं है.
इस बयान पर राज्यपाल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कहा उससे मैं आहत हूं. राज्यपाल को संविधान में दी गई शक्तियों के तहत निर्णय लेना होता है. मेरा आपसे केवल इतना सवाल है कि क्या आपका गृह विभाग राजभवन की सुरक्षा नहीं कर सकता तो फिर प्रदेश में कानून व्यवस्था की क्या हालत होगी.
राज्यपाल ने पूछे हैं ये 6 सवाल
- विधानसभा सत्र को किस तिथि में आहूत किया जाना है इसका उल्लेख पिछले कैबिनेट नोट में नहीं है और ना ही कैबिनेट की ओर से इसे अनुमोदित किया गया.
- अल्प सूचना पर सत्र बुलाए जाने का ना तो कोई औचित्य प्रदान किया गया और ना ही कोई एजेंडा प्रस्तावित किया गया. सामान्य प्रक्रिया के तहत सत्र बुलाए जाने के लिए किस दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक होता है.
- राज्य सरकार को यह सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए कि सभी विधायकों की स्वतंत्रता एवं उनके स्वतंत्र आवागमन को सुनिश्चित किया जाए.
- कुछ विधायकों की निर्योग्यता का प्रकरण उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है. उसका संज्ञान भी लिए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए हैं. साथ ही कोरोना के राजस्थान प्रदेश में वर्तमान परिपेक्ष में तेजी से फैलाव को देखते हुए किस प्रकार सत्र आहूत किया जाएगा इसका भी विवरण प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए हैं.
- राजभवन स्पष्ट रूप से निर्देशित कर रहा है कि प्रत्येक कार्य के लिए संवैधानिक मर्यादा और सुसंगत नियमावली में विहित प्रावधानों के अनुसार ही कार्रवाई की जाए.
- पत्रावली में यह भी कहा गया है कि जब राज्य सरकार के पास पूरा बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र आहूत करने का क्या औचित्य है?
यह भी पढ़ें-राजस्थान की सियासी घमासान के बीच राज्यपाल के नाम से पत्र वायरल, भावनाओं को आहत बताकर पूछा क्या गृह मंत्रालय नहीं कर सकता रक्षा?
कांग्रेस के समक्ष है ये चुनौतियां
अब अगले नोट में भी सरकार के सामने चुनौती इन छह प्रावधानों को कैसे हटाया जाए. अगर सरकार यह कहती है कि अल्प अवधि का सत्र बुलाना है तो फिर उसके लिए कारण बताना होगा और अगर किसी बिल को लेकर सरकार कहती है कि उन्हें यह बिल पास करना है तो राज्यभवन की ओर से यह कहा जा सकता है कि वह अध्यादेश जारी कर देंगे और उसे 6 महीने तक विधानसभा के सत्र में रखा जा सकता है.
जिस तरीके से राजभवन ने कहा है कि विधायकों के आवागमन में स्वतंत्रता होनी चाहिए तो ऐसे में जो विधायक हरियाणा में है उन्हें वापस आने पर सरकार को यह लिखित में देना होगा कि उनके खिलाफ किसी तरीके की कानूनी कार्रवाई नहीं होगी. ऐसे में जो कारण पहले राजभवन की ओर से दिए गए हैं वह कारण अब भी लागू है.