जयपुर. राजस्थान में कोरोना ने जब अप्रैल के दूसरे सप्ताह से असर दिखाना शुरू किया तो एक ओर राजस्थान की गहलोत सरकार जनता के बचाव में जुट गई, तो प्रदेश कांग्रेस के साथ ही कांग्रेस पार्टी के अग्रिम संगठन भी इस काम में लग गए कि आम जनता को किसी तरीके की कोई परेशानी ना हो. ऐसे में चाहे राजस्थान कांग्रेस हो या फिर अग्रिम संगठन सेवादल, यूथ कांग्रेस या फिर एनएसयूआई, सभी ने अपने-अपने स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए और लोगों को इलाज के लिए सुविधाएं भी मुहैया कराना शुरू किया.
क्यों घटी कांग्रेस कंट्रोल रूम की सक्रियता... लेकिन अब क्योंकि सरकार भी पूरी तरीके से इस काम में लग गई है, खुद सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. ऐसे में अब कांग्रेस संगठन और उनके अग्रिम संगठनों की ओर से बनाए गए कंट्रोल रूम बेअसर हो गए हैं. हालात यह है कि अब अग्रिम संगठनों के कंट्रोल रूम पर आने वाली शिकायतों के समाधान के बजाय शिकायतकर्ताओं को मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर पर ही शिकायत करने की बात कही जा रही है.
सीधा सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क...
जिसके बाद अब अग्रिम संगठनों के कंट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों में भी कमी आने लगी है. वैसे भी क्योंकि सरकार राजस्थान में कांग्रेस की है, तो ऐसे में शिकायतकर्ता सीधा सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर ही अपनी ऑक्सीजन बेड के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रखने में ज्यादा सहज महसूस करने के साथ ही उम्मीद रखता है. ऐसे में अग्रिम संगठनों के कंट्रोल रूम पर अब वैसे भी ऐसी शिकायतों की कमी आ गई है. लेकिन ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के अग्रिम संगठन अब लोगों की सहायता नहीं कर रहे हैं.
इन अग्रिम संगठनों ने अब लोगों की सहायता को नि:शुल्क भोजन वितरित करने तक सीमित कर लिया है. चाहे एनएसयूआई हो, युवा कांग्रेस हो या सेवादल, सभी की ओर से नि:शुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. जिसके लिए जनता रसोई चलाई जा रही है. इन तीनों अग्रिम संगठनों की ओर से खाने के पैकेट बनाकर कोरोना सेंटर अस्पतालों एवं अन्य जगह पर जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है.
प्रदेश कांग्रेस की महज औपचारिकता...
राजस्थान कांग्रेस के कंट्रोल रूम का भी लगभग यही हाल है और कंट्रोल रूम पर आ रही शिकायतों के निस्तारण में प्रदेश कांग्रेस महज औपचारिकता ही निभा रही है. वैसे भी कांग्रेस कंट्रोल रूम के नेता इंटरनल रूप से यह समझ भी रहे हैं कि वैसे भी उनके पास आने वाली शिकायतों का निस्तारण ज्यादा नहीं हो पा रहा है.