जयपुर.राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दो चरण पूरे हो चुके हैं. जहां 9 फरवरी को राज्यपाल के अभिभाषण से लेकर 15 फरवरी को मुख्यमंत्री के राज्यपाल के अभिभाषण के जवाब तक के समय को अगर पहला चरण माना जाए, तो लग रहा था कि इस बार भाजपा बेहतर तैयारी से आई है और वह सरकार को घेरने में कामयाब हो गई. हालांकि कांंग्रेस की बेहतर रणनीति के चलते अब भाजपा बैकफुट पर आ गई है.
भारतीय जनता पार्टी ने रीट पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच करवाने को लेकर जबरदस्त हंगामा किया और राज्यपाल का अभिभाषण भी विरोध स्वरूप हाथों में तख्तियां लेकर सुना. वहीं लगातार हंगामा करने के बाद 15 फरवरी को राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री के जवाब के दौरान भी विपक्ष सदन में मौजूद नहीं रहा. इसके बाद लग रहा था कि इस बार बजट सत्र में कांग्रेस को भाजपा की ओर से बड़ी परेशानी झेलनी पड़ेगी.
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अब सदन चल रहा बिना व्यवधान के: 9 से 15 फरवरी तक भाजपा ने विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया. इसके चलते कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. भाजपा के 4 विधायकों को विधानसभा से निलंबित भी किया गया. इसके बावजूद भाजपा का विरोध मजबूती से जारी रहा. 23 फरवरी को मुख्यमंत्री ने बजट में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने, विद्युत कीमतों में कटौती और चिरंजीवी बीमा योजना का कवर 5 से बढ़ाकर 10 लाख कर भाजपा को कुछ बैकफुट पर ला दिया. रही सही कसर सतीश पूनिया के बजट पर बयान में महिलाओं पर की गई टिप्पणी ने पूरी कर दी.
कांग्रेस ने बेहतर बजट और पूनिया के विवादित बयान को मुद्दा बना भाजपा को साधा पढ़ें:'काली दुल्हन' वाले बयान पर घिरे राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया तो मांगी माफी
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के महिलाओं पर दिए गए विवादित बयान (Satish Poonia controversial statement on women) पर कांग्रेस ने रणनीति के तहत सड़क से सदन तक उनका विरोध किया. सदन में कांग्रेस की महिला विधायकों ने पूनिया का विरोध किया. जिसके चलते पहली बार विपक्ष नहीं बल्कि सत्ता पक्ष के हंगामे के चलते स्पीकर को सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. कांग्रेस की इस रणनीति का नतीजा यह रहा कि भाजपा पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है.
अब रीट परीक्षा पेपर की जांच सीबीआई से करवाने की भाजपा की मांग सांकेतिक दिखाई दे रही है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट की ओर से जब रीट परीक्षा की जांच एसओजी से करवाने को सही ठहरा दिया गया, उसके बाद तो भाजपा की यह मांग लगभग गौण हो चुकी है. नतीजा यह रहा कि जहां शुरुआत में भाजपा आक्रामकता के साथ सदन में सरकार पर हमला कर रही थी, अब कांग्रेस की रणनीति से बैकफुट पर आ गई है.