जयपुर. राजस्थान की राजनीति में सियासी दौरे और यात्राओं का अपना सियासी महत्व है. राजनेता समय-समय पर इन्हीं यात्रा और दौरों के जरिए अपनी सियासी ताकत और संगठनात्मक कौशल का प्रदर्शन भी करते हैं. यही कारण है कि पिछले दिनों जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हाड़ौती के बाढ़ग्रस्त इलाकों में हवाई दौरे पर गई थीं तो वो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया था.
उसके बाद राजे के सितंबर माह में उदयपुर और अजमेर संभाग के कुछ जिलों के दौरे प्रस्तावित थे, लेकिन फिलहाल इन दौरों पर अब संशय है. संशय इसलिए क्योंकि मौजूदा विधानसभा सत्र में भी वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुईं. क्योंकि उनकी पुत्रवधू का स्वास्थ्य खराब है. हालांकि, नवरात्रि के दौरान संभवता राजे उदयपुर संभाग के कुछ जिलों के दौरे पर जा सकती है, लेकिन अधिकृत रूप से इन दौरों का एलान नहीं किया गया है.
सक्रियता का क्या है राज... पूनिया ने तेज किए जिलों के दौरे, टटोल रहे सियासी नब्ज...
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दौरे पर भले ही संशय हो, लेकिन पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की सक्रियता और जिलों के दौरे इन दिनों चर्चा का विषय है. सतीश पूनिया पिछले एक पखवाड़े से लगातार कुछ अंतर वालों में अलग-अलग जिलों के दौरे कर रहे हैं. पिछले 2 सप्ताह के दौरान सतीश पूनिया 7 जिलों का दौरा कर चुके हैं. पूनिया 7 सितंबर को भरतपुर जिले के दौरे पर थे तो उसके बाद 15 सितंबर को करौली, गंगापुर में संगठनात्मक प्रवास पर रहे. इसी तरह 18 सितंबर को पाली और जोधपुर के प्रवास पर रहे और 19 सितंबर को चूरू और जयपुर ग्रामीण के दौरे पर रहे. अब सतीश पूनिया सोमवार 20 व 21 और 22 सितंबर को राजसमंद जिले के दौरे पर रहे. 23 सितंबर को पूनिया के भीलवाड़ा जिले के प्रवास पर रहने की संभावना है.
सक्रियता के कई सियासी मायने...
पूनिया के तेजी से हो रहे संगठनात्मक दौरों और प्रवास को लेकर भी सियासी गलियारों में अलग-अलग चर्चाएं हैं. हालांकि, बतौर प्रदेश अध्यक्ष पूनिया अपना 2 साल का कार्यकाल पूर्ण कर तीसरे साल में प्रवेश ले चुके हैं. ऐसे में उनकी हर सक्रियता आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर काफी अहम मानी जा रही है. प्रदेश भाजपा में आगामी मुख्यमंत्री के चेहरों में जहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चेहरा शामिल है तो वहीं पार्टी नेताओं से जुड़ा एक धड़ा सतीश पूनिया को अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में देखना चाहता है. यही कारण है कि पूनिया की इस सक्रियता का लाभ साल 2023 के विधानसभा चुनाव में तो पार्टी को मिलेगा ही, लेकिन पूनिया को भी व्यक्तिगत रूप से इसका सियासी लाभ अगले चुनावो में मिलेगा.
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दूसरी ओर हाड़ौती के दौरे के बाद वसुंधरा राजे (EX CM Vasundhara Raje) का उदयपुर और अजमेर संभाग के जिलों का संभावित दौरा इसीलिए बन रहा था, क्योंकि सियासी यात्राओं के जरिए ही राजस्थान में सत्ता किस चीज तक पहुंचने का रास्ता बनता है.
राजे और पूनिया से लेकर सोशल मीडिया पर ये भी है चर्चा...
सोशल मीडिया पर राजस्थान भाजपा के सियासी दिग्गजों को लेकर भी चर्चाएं आम हैं. खासतौर पर राजस्थान भाजपा में अगले मुख्यमंत्री के चेहरे की चर्चाओं में सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे के साथ ही प्रदेश के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम चर्चाओं में रहते हैं. वहीं, पिछले दिनों सोशल मीडिया पर भी एक संवैधानिक पद को लेकर राजे के नाम की चर्चा रहीं, लेकिन राजस्थान की सियासत में राजे की सक्रियता कुछ और कहानी बयां करती है.
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हालांकि, यह चर्चा इसलिए खड़ी हुई तो कि भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा ने वसुंधरा राजे को लेकर भी अहम बयान दिया था. वहीं, पूनिया (BJP State President) के जिलों में तेजी से किए जा रहे संगठनात्मक दौरे और प्रवास को वसुंधरा राजे के प्रस्तावित दौरे से एक कदम आगे की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है जो राजनीति में अक्सर होता ही है. हालांकि, बतौर प्रदेश अध्यक्ष पूनिया की ये जिम्मेदारी भी है कि वे जिलों में संगठन को मजबूत करें और इसके लिए प्रवास भी करे और इस काम को बखूबी कर भी रहे हैं. लेकिन इसके भी कई सियासी मतलब राजनीतिक गलियारों में निकाले जा रहे हैं.