राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

सावन में इस बार 2 नाग पंचमी होने से भक्तों में असमंजस, जानें तारीख

सावन मास में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. ऐसे में इस बार आने वाले नाग पंचमी पर्व को लेकर असमंजस बना हुआ है. पंचाग निर्माताओं ने राजस्थान में अलग-अलग तिथि को नाग पंचमी बताई हैं.

Confusion about Nag Panchami festival, नाग पंचमी पर्व को लेकर असमंजस
नाग पंचमी पर्व को लेकर असमंजस

By

Published : Jul 9, 2020, 9:32 PM IST

जयपुर. धार्मिक आस्था के नजरिए से सावन माह का महीना बेहद पावन होता है. यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है, इसी महीने नाग पंचमी का पर्व भी आता है. नाग पंचमी का त्योहार नाग देवताओं को समर्पित है. इस लिए खासतौर पर इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं. लेकिन इस बार श्रवण मास में आने वाले नाग पंचमी पर्व को लेकर असमंजस बना हुआ है.

पंचाग निर्माताओं ने राजस्थान में अलग-अलग तिथि को नाग पंचमी बताई है. पंचागों में 10 जुलाई और 25 जुलाई को नाग पंचमी पर्व बताया है. ऐसे में नाग पंचमी को लेकर दो राय सामने आई है. जिसके चलते लोगों में कन्फ्यूजन हो गया है. हालांकि नाग पंचमी को राजस्थान और अन्य प्रदेशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है. लेकिन राजस्थान में नाग पंचमी श्रवण कृष्ण पंचमी यानी 10 जुलाई को दी है, जबकि शुक्ल पंचमी 25 जुलाई को दी है.

2 नाग पंचमी होने से भक्तों में असमंजस

पढ़ेंःजयपुर: UGC गाइडलाइन के खिलाफ प्रदर्शन, विद्यार्थियों को प्रमोट करने का किया समर्थन

ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, श्रवण मास में कृष्ण पंचमी और शुक्ल पंचमी दोनों आती है. नाग पंचमी को जिन लोगों के राहु, केतु और उनके मध्य शनि होता है तो कालसर्प योग बनता है. जिसके तहत काल का मतलब मृत्यु और सर्प यानी सांप तो मृत्यु जैसा जीवन इंसान कालसर्प योग में जीता है. इस योग में कार्य बनते बनते अचानक बिगड़ जाते है यहां तक की कुछ अशुभ होने की आंशका मन मे बरकरार रहती है. तो ऐसे में भक्त समझे की ये कालसर्प योग के लक्षण है.

उन्होंने बताया कि, कालसर्प योग के निवारण के लिए सावन माह की पंचमी को पूजन अर्चन किया जाता है, जो कि नाग देवता के लिए किया जाता है. बता दे कि, जीव-जंतुओं में नाग को देवता मानकर लोग पूजा करते है. क्योंकि वो भगवान शिव के गले का हार है और इससे पूजन अर्चन करने से अवरुद्ध काम बनने लग जाएंगे. साथ ही अशुभ होने की आंशका का भी निवारण होता है.

वहीं नाग पंचमी को लेकर बनी असमंजस की स्थिति को साफ करते हुए उन्होंने बताया कि, पंचाग का निर्माण कालखंड को लेकर के किया जाता है. साथ ही तमाम चीजों को देखने के बाद इसमें कोई विशेष फर्क नहीं है, क्योंकि पंचमी, पंचमी है और जब उदय कालीन पंचमी होती है, तो उस दिन पूजन करते है और उस दिन कालसर्प का निर्माण होता है. ऐसे में एक तो नाग पंचमी 10 जुलाई और एक 25 जुलाई को भी है.

पढ़ेंःअजमेरः अब खुला रहेगा जिला कलेक्टर का चैंबर...लोगों को नहीं करना पड़ेगा घंटों इंतजार

बता दे कि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. क्योंकि भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता वासुकि लिपटे रहते हैं. वहीं इस बार नाग पंचमी के दिन खास संयोग भी बन रहा है. नाग पंचमी पर 8 नाग देवताओं के पूजा का विधान है. इनमें वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और धनंजय नामक अष्टनाग आते हैं, इनकी पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details