जयपुर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले से ज्यादा घातक है. राजधानी में बढ़ रहे मौत के आंकड़े भी इसी ओर इंगित करते हैं. जहां मई से पहले के 14 महीनों में 763 मौत दर्ज की गई थी. वहीं मई के 14 दिनों में 694 मौत दर्ज की गई है. संक्रमण के इतर नगर निगम में डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े भी 2020 की तुलना में काफी भयावह हैं.
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर राज्य सरकार ने 10 मई से प्रदेश में सख्ती दिखाते हुए लॉकडाउन किया. हालांकि अभी लॉकडाउन का असर देखने को नहीं मिल रहा है. राजधानी में लगातार बढ़ रही मृत्यु दर इसी की गवाह है. आलम ये है कि श्मशान घाटों पर एक साथ कई चिताओं को जलता देखा जा सकता है. और तो और आदर्श नगर शमशान घाट के अस्थि गृह में तो अब अस्थियां रखने की तक की जगह नहीं बची.
राज्य सरकार द्वारा बताए जा रहे आंकड़े और श्मशान घाटों तक पहुंचने वाले शवों की संख्या में भी अंतर है. जिसका एक कारण इलाज के दौरान मौत होने और रिपोर्ट मौत के बाद आने को भी बताया जा रहा है, लेकिन इन सबके बीच नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हो रहे रजिस्ट्रेशन की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और ये आंकड़े 2020 की तुलना में कहीं ज्यादा और डराने वाले हैं.
प्रदेश में औसतन 14 हजार पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं और करीब 150 मौत कोरोना से हो रही है. इस भयावह स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगा रखा है. ऐसे में ईटीवी भारत अपील करता है कि जयपुर के लोग सावधानी बरतें और सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन की पालना करें, ताकि वह खुद भी सुरक्षित रहें और उनके परिजन भी सुरक्षित रहें.