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RTI: अजमेर नगर निगम के आयुक्त पर 10 हजार और भवानीमंडी पालिका ईओ पर 5 हजार जुर्माना

सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी नहीं देने पर राज्य सूचना आयोग ने अजमेर नगर निगम के आयुक्त पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. इसी तरह भवानीमंडी नगर पालिका के ईओ पर भी आयोग ने 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की यह राशि दोनों अधिकारियों के वेतन से काटी जाएगी.

State Information Commission action, Ajmer Municipal Corporation Commissioner fined
अजमेर नगर निगम के आयुक्त पर 10 हजार और भवानीमंडी पालिका ईओ पर 5 हजार जुर्माना

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Published : Apr 14, 2021, 11:42 AM IST

जयपुर. सूचना के अधिकार के तहत अपने एक शिकयती पत्र पर कार्रवाई की जानकारी मांग रहे एक नागरिक को जवाब देने में अजमेर नगर निगम ने बहुत लम्बा वक्त लिया. आयोग ने निगम आयुक्त पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. आयोग ने भवानी मंडी नगर पालिका के ईओ पर सूचना अधिकार कानून की अनदेखी करने पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने कहा निगम ने जवाब देने में असाधारण देरी की है. यह गंभीर मामला है.

अजमेर के नाथू सिंह ने 30 मई 2018 को अर्जी दाखिल कर निगम से अपने शिकायती पत्र पर की गई कार्रवाई की जानकारी चाही थी, लेकिन निगम ने इस पर कोई गौर नहीं किया. उन्होंने महापौर धर्मेंद्र गहलोत के पास अपील दायर की तो महापौर ने 17 सितंबर 2018 को सुनवाई के बाद निगम को पंद्रह दिन में वांछित सूचना मुहैया कराने का आदेश दिया, लेकिन निगम प्रशासन ने महापौर के आदेश को भी कोई महत्व नहीं दिया. इस पर परिवादी ने राज्य सूचना आयोग में गुहार लगाई. आयोग ने नाथू सिंह की अपील पर जब निगम से जवाब तालाब किया तो निगम जवाब देने से बचता रहा. सूचना आयुक्त ने इसे गंभीर माना और निगम आयुक्त पर दस हजार रुपए जुर्माना लगाने का आदेश दिया है.

भवानीमंडी पालिका ईओ को 50 पन्नों तक की सूचना परिवादी को निशुल्क देने के भी निर्देश

आयोग में भवानीमंडी के अनवर हुसैन ने शिकायत की थी कि पालिका ने उनके आवेदन पर बेरुखी दिखाई है. हुसैन ने 10 जुलाई 2010 को अर्जी दाखिल कर पालिका से स्टेट ग्रांट एक्ट के तहत बनाए गए पट्टों के बारे में सूचना मांगी थी. आयोग ने जब पालिका से इस मामले में जवाब मांगा तो पालिका ने कोई उत्तर नहीं दिया. सूचना आयुक्त ने पांच हजार रुपए जुर्माने के साथ ईओ को निर्देश दिया कि वे हुसैन को रिकॉर्ड का अवलोकन करवाए और अगर वे कोई सूचना चिन्हित करे तो 50 पन्नों तक की सूचना निशुल्क उपलब्ध करवाए.

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