जयपुर. राजस्थान में भाजपा विपक्ष में है, लेकिन सत्ता में आने के बाद अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर अभी से भाजपा नेताओं में जंग शुरू हो गई है. पहले वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) समर्थकों के बयान ओर फिर संगठन पदाधिकारियों के पलटवार को इसी रूप में देखा जा रहा है, लेकिन खास बात यह है कि अगले मुख्यमंत्री के पद को लेकर जिन बड़े नेताओं के बीच शीत युद्ध चल रहा है, वो खुद ही इस पूरी पिक्चर से फिलहाल गायब है.
राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता के परिवर्तन की परिपाटी चली आई है. मतलब जो आज विपक्ष में हैं, वे ये मानकर चल रहे हैं कि अगली बार सत्ता में वही होंगे. इसीलिए भाजपा नेता विपक्ष में होने के बावजूद अगले मुख्यमंत्री पद के लिए लड़ रहे हैं. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान जब सतीश पूनिया को मिली थी, तब कई बार समर्थकों ने अगले मुख्यमंत्री के रूप में पूनिया के नारे लगाए थे. उस समय लगे नारों की गूंज ने ही प्रदेश के दो दिग्गजों के बीच 'अगला मुख्यमंत्री कौन होगा' की जंग शुरू कर दी थी. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाने वाले हाड़ौती संभाग के भाजपा नेताओं ने अपने बयानों से पार्टी नेतृत्व को यह बताने की बार-बार कोशिश की है कि वसुंधरा राजे के बिना अगली बार सत्ता मिल पाना मुश्किल है।
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इसके लिए पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल, विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली और अब पूर्व विधायक तरुण राय कागा तक बयान जारी कर वसुंधरा राजे की शक्ति का एहसास करवा रहे हैं. इन नेताओं पर पलटवार के लिए प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों को आगे किया जा रहा है. राजे समर्थकों को जवाब देने के लिए पहले प्रदेश महामंत्री और विधायक मदन दिलावर आगे आए, फिर प्रदेश बीजेपी मंत्री महेंद्र जाटव ने बयान जारी किया. इस बीच, प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया यह कहते रहे कि इस समय कांग्रेस से लड़ने और जीतने का है पार्टी आलाकमान जिसे नेता तय करेगा हम सब उसके साथ चलेंगे. इस बयान के बावजूद प्रदेश पदाधिकारियों के आ रहे बयान तो पर्दे के पीछे चल रही कुछ और ही सियासत की ओर इशारा कर रहा है.
बड़े नेताओं के बीच जंग लेकिन समर्थकों को रखा गया है आगे