जयपुर. प्रदेश में भले ही कोयले की कमी के चलते पिछले दिनों बिजली का भारी संकट झेलना पड़ा हो लेकिन विद्युत उत्पादन निगम और विभाग से जुड़े अधिकारियों ने इससे कोई सबक नहीं लिया. यही कारण है कि आज भी प्रदेश की बिजली घरों में तय सीमा से कम कोयले (Coal crisis in Rajasthan) का स्टोरेज है. आलम यह है कि इन इकाईयों में 2 से 8 दिन का ही कोयला शेष है. वहीं रेल रैक की कमी के कारण ये स्टोरेज और (Lack of coal in Rajasthan power station news) कम होता जा रहा है.
प्रदेश की बिजली घरों में केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत 20 से 26 दिन के बीच का कोयला स्टॉक रखना जरूरी किया गया है. हालांकि अधिकतम 26 दिन के कोयला स्टॉक की बंदी सामान्य परिस्थितियों में ही रहेगी. क्योंकि पिछले दिनों कोयले संकट के दौरान कोयला स्टॉक सीमा में छूट देते हुए यह सीमा 7 से 15 दिन कर दी गई थी. वर्तमान में कोयले का स्टॉक तय नियमों से बहुत कम है. केंद्रीय की ओर से जारी किए गए संबंध में नए नियमों में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है की संबंधित राज्य सरकारें निर्धारित स्टॉक सीमा के आधार पर कोयला परिवहन का प्रबंध करें और रेल के साथ ही नियमित सड़क मार्ग से भी कोयला मंगाने के लिए कहा गया है.
केंद्र की ओर से जारी नियमों में रोड कम रेल मोड़ के जरिए कोयला परिवहन के निर्देश दिए गए हैं लेकिन राजस्थान के बिजलीघरों की संबंधित कोयला खदानों से दूरी इतनी अधिक है. ऐसे में यदि सड़क परिवहन से कोयला मंगाया जाता है तो इस पर काफी खर्चा आएगा. जिससे उत्पादित बिजली की लागत भी बढ़ जाएगी. उसका सीधा भार आम उपभोक्ताओं पर ही पड़ना तय है. वर्तमान में कोयला परिवहन के लिए राजस्थान को समुचित रेलवे रैक भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
अनुबंध के अनुसार राजस्थान को नहीं मिल रहा कोयला