मंडरायल (करौली). मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को करौली के मंडरायल में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा (CM Gehlot visit flood affected areas of Karauli) किया. इस दौरान सीएम गहलोत ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा रेवड़ियां बांटने के सवाल पर कहा कि लोगों को मुफ्त दवाई, इलाज और पेंशन देने को ये लोग रेवड़ियां बांटना कहते हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है. राहत की बात यह रही कि कोई भी जनहानि नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि बाढ़-आपदा में लोगों के मकान धराशाई हुए हैं, साथ में फसल का भी नुकसान हुआ है. पीड़ित परिवारों का सरकार सर्वे कराएगी और उचित मुआवजा दिलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज शाम को कैबिनेट की बैठक (Gehlot Cabinet meeting) है, जिसमें नुकसान को लेकर चर्चा होगी.
ईआरसीपी योजना के लिए प्रधानमंत्री पर बनाया जा रहा दबाव: गहलोत ने मंडरायल में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि करौली, धौलपुर, कोटा, झालावाड़ और सवाईमाधोपुर आज ऐसे जिले हैं, जो बरसाती सीजन में बाढ़ से प्रभावित होते हैं. उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए (CM Gehlot targets Center on ERCP) कहा कि ईआरसीपी योजना भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लागू की थी. लेकिन भारत सरकार इस योजना को धरातल पर नहीं आने दे रही है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था. उसके बावजूद भी प्रधानमंत्री परियोजना को लेकर शांत बैठे हैं. राजस्थान प्रदेश से केंद्र सरकार में मंत्री भागीदारी निभा रहे हैं, लेकिन वे भी परियोजना को लेकर गंभीर नहीं हैं.
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प्रदेश में नहीं होगी बाढ़ जैसी तबाही:ईआरसीपी योजना के लिए 9 हजार करोड़ का बजट सरकार ने अलग से रखा है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि भारत सरकार काम को रोक रही है. गहलोत ने ईआरसीपी परियोजना को लागू कराने के लिए भारत सरकार से हाथ जोड़कर लागू कराने की मांग की. गहलोत ने कहा कि अगर यह परियोजना लागू हो जाएगी, तो बाढ़ जैसी तबाही प्रदेश में नहीं होगी. उन्होंने कहा कि यह परियोजना फसल के लिए जीवनदायिनी साबित होगी. भारत सरकार को यह योजना राष्ट्र हित को देखते हुए पूरी करनी चाहिए. केंद्र सरकार के मंत्री भी परियोजना को लेकर दबाव नहीं डाल रहे, बल्कि उल्टी बयानबाजी कर रहे हैं.
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