जयपुर. छत्तीसगढ़ में कोल माइनिंग अनुमति को लेकर हो रही देरी के कारण आने वाले कोल संकट (coal crisis in Rajasthan) के बावजूद प्रदेश में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था सुचारु (CM gehlot instruction for uninterupted electricity supply) बनाए रखी जाएगी. इसके लिए सभी संभावित विकल्पों पर कार्ययोजना बन रही है. यह जानकारी माइंस, पेट्रोलियम व ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने दी. कोयला संकट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी गंभीर हैं और उन्होंने प्रदेश में निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति बनाने के निर्देश दिए हैं.
सुबोध अग्रवाल ने बताया कि निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कार्य योजना तैयार की जा रही है. एसीएस ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने शुक्रवार को विद्युत भवन में चेयरमैन डिस्काम्स भास्कर ए सावंत, सीएमडी विद्युत उत्पादन निगम आरके शर्मा सहित संबंधित अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में सभी संभावित विकल्पों पर विचार विमर्श किया. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ की कोयला खदानों में खनन की स्वीकृति मिलने में हो रही देरी को देखते हुए मुख्यमंत्री गहलोत गंभीर हैं और स्वयं के स्तर पर नियमित समीक्षा करने के साथ ही ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल को दिल्ली जाकर केन्द्र सरकार के समक्ष प्रभावी तरीके से राजस्थान का पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने छत्तीसगढ़ सरकार से भी समन्वय बनाकर इसका जल्दी हल निकालने को कहा है
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दिल्ली में रखा राज्य का पक्ष
ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और एसीएस अग्रवाल बुधवार और गुरुवार को दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, केन्द्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव, कोल सचिव अनिल कुमार जैन और अतिरिक्त सचिव कोल विनोद तिवारी सहित कोल और रेलवे के शीर्ष अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा कर राजस्थान में कोयला संकट को देखते राज्य का पक्ष रखा है. केन्द्र सरकार से प्रदेश को कोल इंडिया से अतिरिक्त कोयला आवंटित करने, वैकल्पिक खदान से कोयला उपलब्ध कराने, रेलवे की रैक की उपलब्धता बढ़ाने सहित अलग-अलग बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा हुई. केन्द्र सरकार स्तर पर उच्च स्तरीय चर्चा सकारात्मक रही है और केन्द्र सरकार ने सभी संभावित विकल्पों पर सहयोग का विश्वास दिलाया है.
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4340 मेगावाट के विद्युत गृहों में उत्पादन प्रभावित होने की संभावना
एसीएस ऊर्जा डॉ. अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ से राज्य सरकार की खानों पर खनन शुरु करने की स्वीकृति में देरी के कारण प्रदेश में कुल 7580 मेगावाट के तापीय विद्युत गृहों में से 4340 मेगावाट के विद्युत गृहों में विद्युत उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है. इसके लिए छत्तीसगढ़ में खनन स्वीकृति जारी होने और खनन शुरू होने तक अन्य खदानों से कोयला आपूर्ति कराने, विदेशों से प्राथमिकता से प्रदेश को कोयला मंगवाने, अन्य प्रदेशों से बिजली खरीद अनुबंध सहित सभी विकल्पों पर एक साथ काम शुरु कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि विदेशों से कोयला आयात के लिए राज्य सरकार स्वयं के स्तर से खरीद संभावना के साथ ही केन्द्र सरकार की ओर से सुझायेनुसार एनएसपीसी-एनटीपीसी से भी समन्वय बनाया जा रहा है ताकि राज्य के तापीय विद्युत गृहों के लिए जल्दी आयातीत कोयला मिल सके. इसके साथ ही प्रदेश के निजी क्षेत्र के विद्युत उत्पादकों से भी प्रदेश में अधिक बिजली प्राप्त करने के लिए प्रयास शुरु कर दिए गए हैं. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में कोल संकट के दौरान सभी संबंधितों से समन्वय कर संभावित विकल्पों की कार्ययोजना तैयार करने और कोआर्डिनेशन के लिए ऊर्जा विकास निगम के निदेशक पीटी प्रवीण स्वरुप सक्सेना को ओएसडी बनाया गया है. सक्सेना नियमित समीक्षा कर राज्य सरकार को अवगत कराएंगे.