जयपुर. सीएम अशोक गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक ली. इस दौरान उन्होंने कहा कि न्यायालयों ने भी अपने निर्णय में कहा है कि महामारी से बचाव के लिए जब 6 माह से स्कूल नहीं खुल रहे हों, अंतिम संस्कार और विवाह जैसे जरूरी आयोजनों में भी सीमित संख्या में लोगों को अनुमत किया गया है, तो ऐसी परिस्थिति में अन्य भीड़ भरे आयोजनों का होना उचित नहीं है. गहलोत ने कहा कि ऐसी स्थिति में रावण दहन, दशहरा मेला जैसे कार्यक्रम भी डिजिटल माध्यम से आयोजित किया जाना बेहतर है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों की राय एवं अनुभवों के अनुसार प्रदूषण के कारण कोविड-19 के रोगियों में सांस की तकलीफ बढ़ जाती है. साथ ही, इससे मृत्युदर बढ़ने की आशंका भी व्यक्त की गई है. ऐसे में हमें दिवाली एवं दशहरे के अवसर पर आतिशबाजी से बचना चाहिए. साथ ही, सर्दी के मौसम में संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ सकता है. इसे देखते हुए लोग वैवाहिक समारोहों एवं त्योहारों के दौरान विशेष सावधानी बरतें.
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गहलोत ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए रोगियों में हार्ट एवं लंग्स की जटिलताओं के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं. ऐसे में, कोरोना से ठीक हुए लोग नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श लें और आवश्यक जांच कराएं, ताकि कोरोना के दुष्प्रभावों से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि अनुभव बताते हैं कि कोरोना के लक्षण नजर आने के बावजूद लोगों ने अस्पताल पहुंचने में देरी की, जिसके कारण उनके फेफडों एवं श्वसन तंत्र के साथ ही अन्य अंगों में जटिलताएं बढ़ गई. ऐसे में, समय पर जांच एवं उपचार कराकर इससे बचा जा सकता है. मुख्यमंत्री ने जन आंदोलन के सकारात्मक असर को देखते हुए निर्देश दिए हैं कि स्थानीय निकायों में कार्यरत सफाईकर्मी भी घर-घर जाकर लोगों को मास्क पहनने और लोगों 'नो मास्क-नो एन्ट्री' के लिए प्रेरित करें.