जयपुर. बाहरी राज्यों में अभी करीब 19 लाख राजस्थानी रह रहे हैं, जिन्हें राजस्थान में आना है, लेकिन सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही है कि इतनी बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों से राजस्थानियों को लाए जाने में महीनों का समय लग जाएगा जोकि लॉकडाउन और संकट के इस समय फिलहाल संभव नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के सांसद और विधायकों से ही पूछा है कि वही बता दें कि इनमें से पहले किसे राजस्थान में लाया जाए. रविवार को रात करीब 12 बजे तक चली सांसद विधायकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री ने यह बात कही.
दूसरे राज्यों में फंसे राजस्थानी को लेकर सीएम ने सांसद-विधायकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की यह भी पढ़ें-रेलवे की 12 मई से 15 ट्रेनें चलाने की तैयारी, आज से शुरू होगी बुकिंग
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में 24 सांसद, 157 विधायक और प्रमुख अधिकारी शामिल हुए. इस दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सभी जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में उन मजदूरों और लोगों की सूची तैयार करें, जिन्हें पहले प्राथमिकता के आधार पर लाना है. वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सबसे ज्यादा मांग यही उठ रही थी कि राजस्थान से बाहर जो प्रदेश के लोग रह रहे हैं, उनकी राजस्थान वापसी में काफी समस्याएं आ रही है. राजस्थान के बॉर्डर सील करने पर वे लोग अब ना पीछे जा सकते हैं और ना ही राजस्थान में आ सकते हैं. ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार से आग्रह किया गया था कि वह इन लोगों के लिए कोई सकारात्मक निर्णय लें.
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने प्रवासी मजदूरों, उद्योग और वित्तीय स्थिति को लेकर अपने सुझाव भी दिए. राजे ने कहा कि हो सकता है कि हमें एक से डेढ़ साल तक कोरोना के साथ ही जीना पड़े. ऐसे में यह देखना होगा कि उद्योग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. राजे ने प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा भी उठाया और कहा इंटरस्टेट लोगों को जल्द से जल्द पास दिया जाना बहुत जरूरी है. साथ ही क्वॉरेंटाइन की व्यवस्था भी जरूरी है, क्योंकि बॉर्डर पर हमारे लोगों को रखा जाना भी जरूरी हो तो उसके लिए उचित व्यवस्था की जाना चाहिए.