जयपुर.केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री ने कल जयपुर में जल जीवन मिशन के लिए बैठक करने जा रहे हैं. बैठक से ठीक पहले सीएम गहलोत ने केंद्रीय मंत्री को निशाने पर लिया. गहलोत ने कहा कि सभी सांसदों की बुलाई गई बैठक में राजस्थान के अटकाए गए प्रोजेक्ट्स के लिए प्रस्ताव पास कर अपनी पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व और केन्द्र सरकार को (CM Gehlot on BJP MPs) भेजेंगे.
यह किया ट्वीट: गहलोत ने कहा कि केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री ने कल जयपुर में जल जीवन मिशन के लिए बैठक बुलाई (Jal Jeevan Mission meeting) है, जिसमें सभी सांसदों को बुलाया गया है. जनता ने लोकसभा की सभी सीटों पर दो-दो बार एनडीए के सांसद जिताकर भेजे, परन्तु बड़ा दुखद है कि आज तक इन सांसदों जिनमें चार केन्द्रीय मंत्री भी हैं, ने राज्य के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार पर कभी दबाव नहीं बनाया. मैं आशा करता हूं कि कल भाजपा के सांसद केन्द्र राजस्थान के अटकाए गए प्रोजेक्ट्स के लिए प्रस्ताव पास कर अपनी पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व एवं केन्द्र सरकार को भेजेंगे.
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गहलोत ने कहा कि पिछले कार्यकाल में हमारी सरकार ने सरमथुरा से गंगापुर वाया करौली, चौथ का बरवाड़ा से अजमेर वाया टोंक, रतलाम से डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा का काम शुरू किया था जिसे मोदी सरकार के आने के बाद रोक दिया गया. 2013 में भीलवाड़ा के रूपाहेली में मेमू कोच फैक्ट्री की नींव भी रखी गई थी जिसका काम मोदी सरकार ने बंद कर दिया. प्रदेशवासियों की नजरें कल की सांसदों की बैठक पर हैं क्योंकि सब जानना चाहते हैं कि उनके सांसद इन योजनाओं का काम बंद करने पर क्या बोलेंगे?
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पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना:गहलोत ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के 13 जिलों के 10 सांसदों की ओर भी जनता देख रही है कि प्रधानमंत्री की ओर से स्वयं इसे राष्ट्रीय परियोजना देने का वादा दो-दो बार किया गया. इसके बावजूद 13 जिलों की इस जीवनदायिनी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना नहीं बनाया गया है. अब देखना है कि ये सांसद कल इस बैठक में ERCP के हक की मांग रख भी पाते हैं या नहीं. गहलोत ने कहा कि राजस्थान एक रेगिस्तानी राज्य है, यहां एक भी बारहमासी नदी नहीं है. गांव और ढाणी दूर-दूर बसे हुए हैं. जहां पानी उपलब्ध है उसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है. ऐसे में राजस्थान की पानी की परियोजनाओं जैसे जल जीवन मिशन, ERCP परवन परियोजना आदि में 90 प्रतिशत आर्थिक व्यय केन्द्र सरकार को वहन करना चाहिए. जब पहाड़ी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण जल परियोजनाओं में 90 प्रतिशत खर्च वहन किया जा सकता है, तो राजस्थान जैसे रेगिस्तानी राज्य को तो ये हक अवश्य ही मिलना चाहिए.