जयपुर. इस बार बजट देने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चर्चा भले ही पूरे देश में हुई हो लेकिन इसका लाभ ज्यादा दिन तक उन्हें नहीं मिल सका क्योंकि करौली में बिगड़े सांप्रदायिक माहौल पर उन्हें भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है. पहले ही गहलोत सरकार अपने विधायकों पर कानून व्यवस्था हाथ में लेने के आरोपों से घिरी हुई थी तो अब करौली हिंसा ने दिक्कतें और बढ़ा दी हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री गहलोत यह समझ गए हैं कि बीजेपी अभी से चुनावी मूड में आ चुकी है तो उन्हें भी जल्द से जल्द अपना चुनावी अभियान शुरू करना होगा.
यही कारण है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सवाई माधोपुर पहुंचकर पिछले चुनाव में सबसे कमजोर रहे पूर्वी राजस्थान को संभालने में लग गए हैं तो वहीं सीएम गहलोत भी एक अप्रैल को पश्चिमी राजस्थान के दौरे पर (CM Gehlot preparation for 2023 elections) अपने मजबूत जिलों को औ मजबूत करने के लिए क्षेत्र की नब्ज टटोलने में लग गए हैं. मुख्यमंत्री ने 1 अप्रैल को अपने गृह जिले में आयोजित कार्यक्रमों में शिरकत की तो 2 अप्रैल को बाड़मेर पहुंचकर कांग्रेस के महंगाई को लेकर आयोजित जनसभा को भी संबोधित किया. करौली में हिंसा को लेकर भी गहलोत ने सीधे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को जिम्मेदार ठहराया. मतलब साफ है कि जिन मामलों में उन्हें पार्टी का सहयोग लेना चाहिए, उसमें भी वह सरकार चलाने के साथ उन सभी मामलों को देख रहे हैं.
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