जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में अध्ययनरत महाविद्यालयों की छात्राओं से संवाद कर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सुझाव लिए. इस दौरान सीएम ने कहा कि राज्य सरकार धरातल से प्राप्त सुझावों के आधार पर अपनी आगामी योजनाओं को बेहतर बना सकेगी. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विद्यार्थियों, विशेषकर बालिकाओं को उनकी इच्छा के अनुरूप करिअर में आगे बढ़ने के लिए विशेष शिक्षण और समुचित कोचिंग देने की व्यवस्था करवाई जाए.
सीएम गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस से आयोजित कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के शुभारंभ समारोह के दौरान स्कूटी प्राप्त करने वाली लाभार्थी छात्राओं से संवाद किया. उन्होंने छात्राओं से उनकी पढ़ाई, परिवार की स्थिति, करिअर के लक्ष्य पर चर्चा की और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू की गई योजनाओं पर फीडबैक लिया. उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों, जिला कलक्टरों और कॉलेज प्राचार्यों को निर्देश दिए कि विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई सभी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद और पात्र छात्र-छात्राओं तक पहुंचाना सुनिश्चित करें.
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संवाद के दौरान छात्राओं ने स्कूटी योजना के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया. छात्राओं ने कहा कि स्कूटी मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, क्योंकि इससे उनको आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज और कोचिंग जाने में सहूलियत होगी. अब उनको अध्ययन के लिए घर से दूर तक जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना होगा. कई छात्राओं ने बताया कि वे पूर्व में राज्य सरकार की निशुल्क साइकिल योजना का भी लाभ ले चुकी हैं.
तीन वर्ष में खोले गए 123 नए कॉलेज
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा से संघर्ष करने की क्षमता पैदा होती है. जो समाज शिक्षा पर फोकस करता है, वह विकास की दौड़ मे आगे बढ़ता है. उन्होंने कहा कि युवाओं को निकटतम स्थान पर कॉलेज की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए लगभग 3 वर्षों में 123 नये कॉलेज खोले गए हैं, जिनमें 32 महिला कॉलेज हैं. सरकार ने प्रत्येक उपखण्ड मुख्यालय पर महाविद्यालय खोलने की योजना बनाई है. गहलोत ने कहा कि राजस्थान आज प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च और तकनीकी शिक्षा का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. राजकीय शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग दी जा रही है.
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‘मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना’ के प्रचार पर जोर
उन्होंने विभिन्न वंचित वर्गों के विद्यार्थियों को कोचिंग के लिए इस बजट में घोषित ‘मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना’ का भी प्रचार-प्रसार करने को कहा, ताकि पात्र विद्यार्थी इसका लाभ ले सकें. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी अंचल में शिक्षा की अलख जगाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाली वीर बालिका कालीबाई भील नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. आदिवासी बालिका और उनके गुरुजी नानाभाई भील ने उस दौर में शिक्षा के महत्व को समझा, जब अंग्रेजों के शासन में हर व्यक्ति को पढ़ने की इजाजत नहीं थी.
कालीबाई के नाम से स्कूटी योजना
गहलोत ने कहा कि महिला शिक्षा और सशक्तीकरण का एक और उदाहरण महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले का है. इन्होंने समाज और जाति के बंधनों को तोड़कर महिला शिक्षा के लिए अलख जगाई. सामाजिक चेतना की प्रतीक कालीबाई को भावी पीढ़ी के सामने एक मिसाल के रूप में पेश करने के लिए राज्य सरकार की मेधावी छात्राओं के लिए संचालित सभी स्कूटी योजनाओं को एकीकृत कर कालीबाई के नाम से शुरू किया है.
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बालक-बालिकाओं में फर्क करना छोड़े परिवार
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बालिकाओं की शिक्षा के प्रति सकारात्मक माहौल बना है और बड़ी संख्या में छात्राएं हर स्तर और विषय में छात्रों से आगे निकल रही हैं. इसके बावजूद बालिकाओं की एक बड़ी आबादी आज भी शिक्षा से वंचित हैं. परिवार और समाज का यह फर्ज बनता है कि वे बालक-बालिका के बीच भेदभाव छोड़ें और बालिकाओं को समान रूप से आगे बढ़ने के अवसर दें. उन्होंने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देने का पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का निर्णय महिला सशक्तीकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम था.
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में बीते लगभग 3 वर्षों में 123 नए कॉलेज खोलने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों की मांग के अनुसार 17 स्नातक महाविद्यालयों को स्नातकोत्तर स्तर पर अपग्रेड किया है. अन्य कई महाविद्यालयों में नए संकाय तथा नए विषयों की शुरुआत की गई है. इन महाविद्यालयों में तात्कालिक शिक्षण के लिए ‘विद्या सम्बल योजना’ शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता विकास के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए प्रदेश में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंस स्थापित करने की पहल की है.