जयपुर/जोधपुर. राजस्थान में कोयला संकट को लेकर ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने शुक्रवार को कहा कि कोयला आधारित इकाइयों से बिजली उत्पादन के लिए (Minister Bhanwar Singh Bhati on Coal Mines) कोयले की आवश्यकता होती है और अधिकतर कोयला भारत सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ में आवंटित खानों से आता है. अभी जो कोयले की खान है, वहां कोयला खत्म होने के कगार पर है. राजस्थान के लिए जिस नई कोल माइंस से हमें कोयला मिलना है उसकी सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. केवल छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति मिलना बाकी है.
उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ जा रहे हैं और वहां के मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे. उम्मीद है इस मुलाकात के बाद कोयले की समस्या का समाधान हो जाएगा. जल्दी हमें कोल माइंस के लिए अनुमति भी मिल जाएगी. भंवर सिंह भाटी ने कहा कि प्रदेश में कोयला मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ से आता है. इसके अलावा अलग-अलग माध्यम से भी कोयला मंगवाया जाता है. इंपोर्ट के माध्यम से भी हमने कोयला मंगाने का निर्णय किया है. कोयला मंत्रालय से भी अतिरिक्त कोयले की मांग की गई है. उन्होंने कहा कि कोयले के संकट को दूर करने के लिए हमारी सरकार जल्द ही कदम उठाएगी. मुख्यमंत्री के छत्तीसगढ़ दौरे का भी सकारात्मक परिणाम निकलेगा.
एक ही मिजाज की सरकारों में है संवादहीनता : प्रदेश में कोयला संकट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के छत्तीसगढ़ जाने पर भी सियासत भी शुरू हो गई है. इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. सतीश पूनिया ने कोयला संकट को लेकर कहा कि प्रदेश में कोयले की कमी और बिजली के उत्पादन एवं वितरण में विसंगति (Satish Poonia Alleged Gehlot Government) पहले से ही चली आ रही है. प्रदेश की गहलोत सरकार इसे लेकर दूरदर्शी नहीं है.
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उन्होंने कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एक ही मिजाज की सरकार है, लेकिन दोनों के बीच संवाद की कमी है, यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है. यदि दोनों मुख्यमंत्रियों की मुलाकात होती है और प्रदेश के लिए कोयले का आवंटन होता है तो लोगों को थोड़ी बहुत राहत जरूर मिलेगी. विधानसभा में नकल विरोधी कानून पास होने पर सतीश पूनिया ने कहा कि पहले भी नकल रोकने के लिए कानून बना हुआ था. इसके बावजूद भी नकल नहीं रुक रही थी.