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टोल पर टकराव : भाजपा नेताओं के विरोध पर राज्य सरकार का बयान, कहा - केंद्र में निजी वाहनों को टोल शुल्क में छूट नहीं तो स्टेट में क्यों?

राज्य में स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों पर लगने वाले टोल टैक्स वसूली में छूट वापस लेने के फैसले के बाद से बीजेपी ने प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है. वहीं अशोक गहलोत ने कहा कि निजी वाहनों से टोल टैक्स केंद्र सरकार भी ले रही है तो राज्य सरकार क्यों नहीं ले. उन्होंने कहा कि सड़कों का मरम्मत और रखरखाव के लिए यह निर्णय लिया गया है.

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Published : Nov 1, 2019, 11:23 AM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार के फैसले, जिसमें राज्य में स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों से टोल शुल्क में छूट वापस लेने के बाद से विपक्ष में बैठी बीजेपी ने प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है. बीजेपी की तरफ से शुक्रवार को सभी जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

टोल के मुद्दे पर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को घेरा

वहीं इस बीच कांग्रेस सरकार ने साफ किया कि निजी वाहनों से टोल टैक्स केंद्र सरकार भी ले रही है तो स्टेट सरकार क्यों नहीं ले. उनका कहना रहा कि सड़कों की मरमत और रखरखाव के लिए यह निर्णय लिया गया है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि निजी वाहनों से टोल टैक्स नहीं देने के पूर्ववर्ती सरकार के बिना सोचे-समझे और जल्दबाजी में लिए गए फैसले से प्रदेश में सड़कों की मरम्मत और रखरखाव के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में टोल शुल्क की छूट वापस लेने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल द्वारा जनहित और राजकोष पर आने वाली बड़ी देनदारी को देखते हुए लिया गया है.

उनका कहना रहा कि सड़कों पर टोल लगाने का मुख्य उद्देश्य सड़कों का सुदृढ़ीकरण और इसके बाद रखरखाव करना है. पूर्ववर्ती सरकार ने 1 अप्रैल, 2018 से राज्य में निजी वाहनों को 55 स्टेट हाईवे पर लगने वाले टोल शुल्क से छूट प्रदान की थी. इस कारण आधार वर्ष 2017-18 के अनुसार 172 करोड़ रुपए के टोल शुल्क का नुकसान हुआ.

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इसका प्रदेश में सड़कों की मरम्मत और निर्माण कार्यों पर विपरीत असर पड़ा है, क्योंकि अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन से सम्बन्धित अनुबंधकर्ता द्वारा मरम्मत और नवीनीकरण के कार्य भी नहीं कराए जा रहे हैं. साथ ही इस निर्णय से कुछ सड़क परियोजनाओं के नॉन-वाईबल होने की आशंका है, जिससे निर्माणाधीन सड़कों के कार्य भी भविष्य में प्रभावित होंगे और आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. छूट से पहले पीडब्ल्यूडी, आरएसआरडीसी और रिडकोर की विभिन्न सड़कों पर सालाना टोल शुल्क संग्रहण लगभग 851 करोड़ रुपए था. जिससे सड़कों की निर्माण राशि का पुनर्भरण और मरम्मत कार्य हो रहा था.

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टोल शुल्क को लेकर सरकार और टोल वसूल करने वाले कन्सेशनर के बीच अनुबन्ध होता है. पूर्ववर्ती सरकार ने टोल वसूल करने वाली कंपनियों को कोई मुआवजा दिए बिना और उनकी सहमति के बिना चुनावी वर्ष में चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए बिना सोचे समझे एकतरफा निर्णय लेते हुए स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों को टोल शुल्क से मुक्त कर दिया.

इस कारण सड़क परियोजना के अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होने से टोल वसूलकर्ता सरकार के खिलाफ न्यायालय में चले गए. उन्होंने न्यायालय से टोल राशि के पुनर्भरण के साथ ही उसका ब्याज भी चुकाने की मांग रखी है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार पर दोहरा वित्तीय भार आने की संभावना है.

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नेशनल हाईवे भी नहीं हैं टोल मुक्त

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी निजी वाहन टोल शुल्क से मुक्त नहीं हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग पर निजी वाहनों को टोल शुल्क से छूट देने की मांग को केन्द्र सरकार ने भी स्वीकार नहीं किया है. आमजन की पुरजोर मांग के बावजूद केन्द्र सरकार ने भी आज तक इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया है. ऐसे में राज्य सरकार के लिए ऐसी छूट देना विवेकपूर्ण नहीं कहा जा सकता, क्योंकि, इसका सीधा असर सड़क विकास के कार्यों पर ही पड़ता है. जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है.

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