जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय कोयला व खनन मंत्री (Pralhad Joshi) को पत्र लिखा है. जिसमें सीएम ने कहा है कि 'प्री एम्बेडेन्ड क्लीयरेंस' व्यवस्था में लंबी व जटिल प्रक्रिया होने से राज्य के खनिज ब्लॉकों की नीलामी में अनावश्यथक रूप से देरी होगी. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने पत्र में पोटाश खनिज की बिक्री व रॉयल्टी दरों के निर्धारण का निर्णय भी शीघ्र करने की मांग की है.
एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि केन्द्र सरकार की प्री एम्बेडेन्ड क्लीयरेंस सिस्टम में माइनिंग प्लान का अनुमोदन, पर्यावरण और वन मंत्रालय से मंजूरी के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण की लंबी प्रक्रिया होने से अधिक समय लगेगा.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने केन्द्रीय खान मंत्री जोशी को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के वर्तमान परिदृष्य में अर्थ व्यवस्था को तत्काल पटरी पर लाने की आवश्यकता है. कोरोना महामारी के कारण उद्योग-धंधें बंद होने के बावजूद राजस्थान में खनिज आधारित उद्योग-धंधे व गतिविधियां यथावत चालू रखी गईं. जिससे विपरीत परिस्थितियों के बावजूद खनन क्षेत्र में गत वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 72 फीसदी अधिक राजस्व अर्जित किया गया.
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मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पश्चिमी राजस्थान में 2400 मिलियन टन पोटाश के भण्डार चिन्हित किए हैं. इसकी व्यावहारिकता अध्ययन, मिनरल एक्सप्लोनरेशन कारपोरेशन, राजस्थान खान व खनिज निगम लि. आरएसएमएमएल और खान विभाग के बीच त्रिपक्षीय समझौता के तहत किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार पोटाश की बिक्री व रॉयल्टी के लिए दरों का निर्धारण करे, जिससे पोटाश खान ब्लॉकों की नीलामी की कार्रवाई आगे बढ़ सके.
एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि केन्द्र सरकार के नए एमएमडीआर संशोधन अधिनियम, 2015 लागू होने के बाद राज्य सरकार द्वारा अब तक 8 सीमेंट ग्रेड लाइमस्टोन ब्लॉक्स की सफल नीलामी की है. जिससे 50 वर्षों की लीज अवधि में राज्य को राजस्व और स्थानीय नागरिकों को रोजगार मिल सकेगा.
उन्होंने बताया कि खनिज ब्लॉकों की नीलामी में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए हाल ही में जीएसआई, एमईसीएल और राज्य के खनिज विभाग के अधिकारियों की संयुक्त कार्यकारी समूह के गठन से सकारात्मक माहौल बना है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे परस्पर समन्वय व संवाद कायम होने से समय पर समस्याओं का हल खोजा जा सकेगा.