जयपुर.विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र में अब सीधी तकरार शुरू हो गई है. सीएम गहलोत अपने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन में धरना शुरू कर चुके हैं, तो वहीं राज्यपाल कोरोना जैसे संकट में और इतने शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देने के अपने फैसले पर कायम हैं.
इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसा पहली बार है जब सत्ता पक्ष सत्र बुलाना चाहता है और उन्हें उसकी अनुमति नहीं मिल रही है. गहलोत ने कहा कि हमारे पास बहुमत है, चिंता हमें होनी चाहिए कि हम सत्ता पक्ष में है, हम सरकार चला रहे हैं, लेकिन राज्यपाल की ओर से सत्र नहीं बुलाने का फैसला समझ से परे है.
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दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार को अपने समर्थक विधायकों के साथ राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात करने पहुंचे. इस दौरान राजभवन परिसर में विधायक धरने पर बैठ गए और सत्र बुलाने की मांग के साथ नारेबाजी करने लगे. हालांकि राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस बात को लेकर साफ कर दिया कि कोरोना के इस दौर में और इतने शॉर्ट नोटिस पर वह विधानसभा सत्र नहीं बुला सकते.
राज्यपाल से मिले दो टूक जवाब के बाद में सत्ता पक्ष के विधायक राजभवन परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजभवन से बाहर आते हुए मीडिया से रूबरू हुए और उन्होंने कहा कि हम सत्र बुलाना चाहते हैं लेकिन हमें इसकी अनुमति नहीं मिल रही है. हम लगातार राज्यपाल से इस बात का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन यह समझ से परे कि वह अनुमति क्यों नहीं दे रहे.
जनता सब देख रही हैः गहलोत
मुख्यमंत्री गहलोत ने विपक्ष पर भी हमला बोलते हुए कहा कि जब विपक्ष फ्लोर टेस्ट की बात लगातार कर रहा था और अब हम जब फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं तो फिर हमें विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है, इस वक्त लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अपनी मांगों को लेकर ऐसा पहली बार नहीं है कि सरकार राज्यपाल के पास धरने पर बैठे हो.
'पहले भी सरकार गिराने का प्रयास किया गया था'
गहलोत ने कहा कि इससे पहले दो बार बीजेपी सरकार में भैरो सिंह मुख्यमंत्री थे, उस वक्त भी इसी तरीके से कुछ विधायकों की ओर से सरकार गिराने का प्रयास किया गया था और भैरो सिंह बतौर मुख्यमंत्री अपने विधायकों के साथ राजभवन में धरने पर बैठे थे. गहलोत ने कहा कि हमने उस वक्त भी इस बात का विरोध किया था कि जनता की ओर से चुनी हुई सरकार को किसी भी तरीके से अस्थिर नही करना चाहिए और गिराने का प्रयास भी नहीं करना चाहिए. गहलोत ने कहा कि उस समय मैंने इस बात की मांग की थी कि इस तरह से सरकार को गिराना लोकतांत्रिक नहीं है.
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गहलोत ने बीजेपी के नेताओं पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश के कुछ नेता जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, उससे उन्हें समझना चाहिए कि उनको राजनीति का पूरा ज्ञान नहीं है. राजनीति में अभी पैदा हुए हैं, सीनियर से राजनीति सीख लेनी चाहिए.
सीएम गहलोत ने अपने उस बयान को लेकर भी साफ किया कि राजभवन को लेकर एक राजनीतिक बयान था, इस तरह के बयान से किसी तरह से किसी को उत्तेजित करना या हिंसा भड़काने का मतलब नहीं था. बीजेपी के कुछ नेता हैं जो इस तरह के बयानों को गलत तरीके से प्रजेंट कर रहे हैं.