जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को वित्त विधेयक पर सदन में अपना जवाब पेश किया. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण के राइडर से राज्यों को छूट मिलनी चाहिए. साथ ही मीना और मीणा शब्द को लेकर कहा कि ये दोनों एक ही हैं केवल स्पेलिंग का फर्क है. स्कूल फीस को लेकर उन्होंने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, ऐसे में स्कूल मैनेजमेंट को जल्द कोई फैसला लेना चाहिए ताकि अभिभावकों कों परेशानी ना हो.
राज्यों को 50% आरक्षण की सीमा से छूट मिले
अशोक गहलोत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कानून पास होने के बाद ऐसी स्थिति बन गई है और सुप्रीम कोर्ट भी पूछ रहा है कि राज्यों की मंशा आरक्षण को लेकर क्या है. राज्यों में 50% का जो राइडर लगा हुआ है उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि राज्य आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. अभी जो 2018 में 102वां संविधान संशोधन हुआ है, उसके अंतर्गत आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ों के लिए राज्य सरकार की शक्तियां कम हो जाएंगी या समाप्त हो जाएंगी. क्योंकि 102वें संविधान संशोधन की धारा 342ए को पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है कि अभी तक सभी राज्यों को अपने-अपने राज्यों में ओबीसी जातियों के चिन्हीकरण और नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार था.
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लेकिन इस संविधान संशोधन के तहत 342 में धारा ए जोड़ी गई है. इसके तहत राज्यों के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की अभिशंषा पर ओबीसी जातियों का नोटिफिकेशन जारी होगा. इससे केंद्र सरकार की मंशा स्पष्ट दिखाई देती है कि वह चाहते क्या हैं. क्योंकि राज्यों की शक्तियां उससे कम होंगी और राज्यों में कई जातियां ऐसी होती हैं जिनको एतराज होगा. उन्होंने कहा कि मेरे पास विभिन्न समाज के सदस्य आए थे सब चाहते थे कि हमें केंद्र का भी आरक्षण मिले. ऐसे में राज्यों के पास शक्ति ही नहीं रहेगी तो वह क्या तो रिकमेंडेशन करेगा और क्या ओबीसी कमिशन काम करेगा.