जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि चाहे केन्द्र हो या राज्य सरकारें सुशासन देने के लिए ब्यूरोक्रेसी का सकारात्मक सहयोग जरूरी है. जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारी दोनों ही जनता के ट्रस्टी हैं. ट्रस्टी के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि आमजन के हित में फैसले लें और योजनाओं को प्रभावी रूप से आखिरी छोर पर बैठे गरीब तक पहुंचाएं. गहलोत रविवार को आरएएस क्लब में राजस्थान प्रशासनिक, पुलिस और लेखा सेवा के अधिकारियों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे.
इस दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरा हमेशा प्रयास रहा कि आमजन के हित में फैसले लिए जाएं. इस वर्ष के बजट में इसी उद्देश्य के साथ जन कल्याणकारी प्रावधान किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022-23 के बजट में पुरानी पेंशन योजना लागू करने का फैसला मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर लिया गया है. अपने जीवन के 30-35 साल सरकार को देने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को अपने बुढ़ापे में किसी तरह की चिंता नहीं रहे और उसे सामाजिक सुरक्षा मिले, यह सोचकर हमने पेंशन स्कीम को प्रदेश में लागू किया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पुरानी पेंशन लागू कर दी है. इसके अलावा चार-पांच राज्य सरकारों ने एनपीएस के रिव्यू के लिए कमेटी बनाई है. कर्मचारी हित में केन्द्र सरकार को भी पुरानी पेंशन योजना को लागू करना चाहिए.
गहलोत ने कहा कि मेरे पिछले कार्यकाल में 17 साल से अटकी पड़ी आरएएस से आईएएस में प्रमोशन प्रक्रिया में आ रही अड़चनें दूर करते हुए पदोन्नति दिलाई. राज्य प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों को सुपर टाईम स्केल एवं हायर सुपर टाईम स्केल मिले. राजस्व बोर्ड में आरएएस को सदस्य बनाया और जिलों में पहली बार आरएएस को कलेक्टर लगाया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि आरएएस, आरपीएस और लेखा सेवा के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर रखी गई मांगें हमारी सरकार ने पूरी की (Gehlot government decisions for bureaucracy) हैं. आगे भी उनकी उचित मांगों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा.