जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘कोई भूखा न सोए’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में शुरू की गई इन्दिरा रसोई योजना के तहत प्रति थाली अनुदान राशि 12 रुपए से बढ़ाकर 17 रुपए (Indira Rasoi grant was decided to be Rs 17) करने का निर्णय लिया है. सीएम गहलोत के इस निर्णय से इंद्रा रसोई के संचालन में सुगमता होगी और जरूरतमंदों को निरन्तर गुणवत्तायुक्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सकेगा.
मुख्यमंत्री के इस निर्णय (CM Gehlot Decision on Indira Rasoi) से प्रदेश में संचालित 358 इन्दिरा रसोइयों को 5 रुपए प्रति थाली अतिरिक्त अनुदान मिलेगा. राज्य सरकार इस पर प्रतिवर्ष 27.63 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय व्यय भार वहन करेगी . लाभार्थी से पूर्व की भांति 8 रुपये प्रति थाली लिए जाते रहेंगे. इन्दिरा रसोई का संचालन प्रदेश में 300 से अधिक सेवाभावी/एनजीओ की ओर से ‘ना हानि-ना लाभ’ के आधार पर किया जा रहा है.
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खाद्य पदार्थों एवं रसोई गैस की बढ़ी कीमतों के कारण रसोई संचालकों को रसोई के संचालन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. उन्होंने महंगाई को देखते हुए मुख्यमंत्री से अनुदान राशि बढ़ाने की मांग की थी . नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने भी इस सम्बन्ध में उचित निर्णय लेने का आग्रह किया था. मुख्यमंत्री ने इस पर संवेदनशील निर्णय लेते हुए अनुदान राशि बढ़ाने की मंजूरी दी है ताकि गरीब, वंचित वर्ग, श्रमिकों, रिक्शा चालकों सहित अन्य जरूरतमंद लोगों को मात्र 8 रुपए में सम्मानपूर्वक बैठाकर गर्म और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके.
4.79 करोड़ को मिला लाभ
योजना में अब तक 4.79 करोड़ भोजन की थाली परोसी जा चुकी है. इनमें से लगभग 1.25 करोड़ लाभार्थियों को निशुल्क भोजन परोसा गया है. कोरोना काल में यह रसोई जरूरतमंदों, रोगियों और उनके परिजनों के लिए काफी उपयोगी साबित हुई और 71 लाख संक्रमितों और जरूरतमन्दों को निशुल्क भोजन कराया गया. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रविष्ट होने वाले अभ्यर्थियों को भी इन्दिरा रसोइयों के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है .
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रसोई संचालन के लिए पारदर्शी प्रक्रिया
योजना में लाभार्थियों का रियलटाइम ऑनलाइन आवेदन होता है. इन्दिरा रसोई में आगमन पर लाभार्थी और उसके पिता के नाम के साथ मोबाइल नम्बर को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. लाभार्थी के मोबाइल पर रसोई में पधारने पर धन्यवाद और टोल फ्री नम्बर का मैसेज भेजा जाता है. इन्हीं आवेदनों के आधार पर पोर्टल के ऑनलाइन डाटा से रसोई संचालक को सीधे उनके बैंक खाते में भुगतान किया जाता है. रसोई संचालक की ओर से कोई गलत कूपन के आवेदन करने पर 2 हजार रुपये प्रति कूपन पेनल्टी का प्रावधान किया गया है.
पेपर लेस भुगतान व्यवस्था बढ़ाई
रसोई संचालकों को राजकीय अनुदान का भुगतान करने के लिए इन्वाइस की आधार ऑथेंटिफिकेशन प्रमाणीकरण की व्यवस्था की गई है. इससे रसोई संचालक का बिल तैयार होने पर सीधा उसके खाते में ऑनलाइन भुगतान हो जाता है. रसोई संचालकों को 7 दिन में भुगतान नहीं करने पर सम्बन्धित अधिकारी पर 12 प्रतिशत वार्षिक पेनल्टी का प्रावधान है.
जनसहभागिता
योजना में जनसहभागिता से जरूरतमन्दों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराने का भी प्रावधान किया गया है. बड़ी संख्या में लोग बच्चों के जन्मदिन, वर्षगांठ, बुजुर्गों की स्मृति में भोजन उपलब्ध करा रहे हैं. दानदाताओं की इस सहभागिता के कारण योजना से लोगों का जुड़ाव बढ़ा है.
गाजर का हलवा और नुगती (मीठी बूंदी) भी मिलेगी
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर कोई भूखा ना सोए अभियान के तहत संचालित की जा रही इंदिरा रसोई में भी नए साल के दिन विशेष आहार की व्यवस्था की गई है. इसमें यहां आठ रुपए में भोजन करने आने वालों को गाजर का हलवा और नुगती (मीठी बूंदी) परोसी गई है. जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ जिले में जिला मुख्यालय पर नगर परिषद क्षेत्र में चंदेरिया उप नगरीय बस्ती के अलावा, रोडवेज बस स्टैंड और श्री सांवलियाजी जिला चिकित्सालय में इंदिरा रसोई का संचालन किया जाता है. नए साल से यहां आठ रुपए में मिलने वाले भोजन में चित्तौड़गढ़ में संचालित हो रही इंदिरा रसोई में मुख्यालय पर रोडवेज बस स्टैंड पर आने वाले आगंतुकों को भोजन में सामान्य मेनू के साथ गाजर का हलवा परोसा गया.
वहीं जिला अस्पताल में संचालित इंदिरा रसोई में बूंदी के मीठे दाने शामिल किए गए हैं. संचालकों का कहना है कि इंदिरा रसोई में अधिकांश लोग गरीब तबके से आते हैं, जो नए साल का जश्न नहीं मना पाते हैं. आने वाला साल सभी के लिए मंगलमय हो इसे लेकर यहां आने वाले लोगों को थोड़ी सी खुशी देने का प्रयास किया गया है.