जयपुर. जालौर में दलित बालक की स्कूल में टीचर की पिटाई से मौत के मामले में राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मंगलवार को जालौर दौरे पर रहेंगे. इस दौरे से पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में एक बार फिर नाम लिए बगैर सचिन पायलट पर तंज (Ashok gehlot comment on sachin pilot) कस दिया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ नेता कार्यकर्ताओं को भड़काते हैं. कहते हैं कि सरकार में कार्यकर्ताओं का मान सम्मान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं का मान सम्मान प्रदेश में एक जुमला बन गया है.
सीएम गहलोत ने कहा कि कार्यकर्ताओं का मान सम्मान आपने खुद ने भी किया है क्या? आप जानते भी हो कि कार्यकर्ता का मान सम्मान क्या होता है. मेरे जैसे लोग तो कार्यकर्ताओं के तौर पर मान सम्मान पाते-पाते ही नेता बन गए. गहलोत ने कहा कि कार्यकर्ता का मान सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है लेकिन अभी जो समय आया है उसका मुकाबला कांग्रेस कार्यकर्ताओं को करना होगा क्योंकि पीएम मोदी के कहे हुए अच्छे दिन आएंगे या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन कांग्रेस के दिन वापस अच्छे आ सकते हैं.
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राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अक्सर कार्यकर्ताओं को मान सम्मान दिए जाने की बात करते दिखाई देते रहे हैं और जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर सचिन पायलट पर परोक्ष रूप से तंज कस कर यह साफ कर दिया है कि दोनों नेताओं में चल रहा शीतयुद्ध अब भी बरकरार है.
खाली पदों पर नियुक्ति होगी या नहीं कहा नहीं जा सकता...
राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर लगातार यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्ति की तीसरी लिस्ट के तौर पर तोहफा मिल सकता है, लेकिन आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे लेकर संशय पैदा कर दिया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि कभी-कभी कोई ऐसा सिस्टम भी बन जाता है जो भले ही वह पार्टी के हित के लिए लिया गया हो लेकिन उसके चलते काम समय पर नहीं हो पाते.
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उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कई मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष राजनीतिक नियुक्तियों (Cm Ashok gehlot on political recruitment) को लेकर कभी एक तरफा निर्णय ले लेते होंगे जिसके चलते ही एआईसीसी ने यह नियम बना दिया कि राज्यों में राजनीतिक नियुक्तियां भी प्रदेश प्रभारी ही करेंगे. इसी के चलते ऐसा सिस्टम बन गया कि हम समय पर यह काम अब तक नहीं कर पाए. अब 6 महीने पहले ही राजनीतिक नियुक्तियां हो सकी हैं और अब भी 15 के आसपास राजनीतिक नियुक्तियां बाकी हैं लेकिन वह कब होंगी या हो सकेंगी भी कि नहीं कुछ नहीं कहा जा सकता.
बिना पद वाले कार्यकर्ता ही रखते हैं पार्टी को जिंदा
अशोक गहलोत ने पद लेने के बाद कार्यक्रमों में नहीं जा रहे नेताओं पर भी तंज कसते हुए कहा कि जो कार्यकर्ता यहां बैठे हैं इनमें ज्यादातर बिना पद वाले हैं. और बिना पद वाले कार्यकर्ता ही पार्टी को जिंदा रखते हैं. उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि मैं जब 27 साल का था और मैंने अपनी कार्यकारिणी बनाई तो कई नेताओं को यह लगता था कि यह बच्चा है लेकिन मैंने उनका पीछा नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि समय पुराना हो या नया पद मिलने के बाद कई नेता गायब हो जाते हैं, चाहे उनको उपाध्यक्ष बनाओ या कोई राजनीतिक नियुक्ति दे दो.
इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें पद मिले या नहीं वह कांग्रेस मुख्यालय में जरूर जाते हैं. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान ही सामने बैठे नेताओं में हाथ खड़े करवा कर पूछा कि यहां कितने पदाधिकारी हैं तो दो-तीन हाथ खड़े हुए. इसपर गहलोत ने कहा कि आज भी कार्यक्रम में पांच से सात पदाधिकारी ही हैं, बाकी तो कार्यकर्ता हैं.