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Trade Union targets Gehlot Govt: गहलोत सरकार पर श्रमिकों की उपेक्षा का आरोप: 3 साल में नहीं हुआ श्रम सलाहकार बोर्ड का गठन, विभाग बना भ्रष्टाचार का केंद्र

भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू), जयपुर का आरोप है कि अशोक गहलोत सरकार के 3 साल बीतने के बावजूद राजस्थान श्रम सलाहकार बोर्ड का गठन नहीं किया है. राज्य का श्रम विभाग भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है. ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा ने 23 और 24 फरवरी को पूरे देश में सामूहिक हड़ताल (Trade Unions strike on 23-24 Feb, 2022) पर जाने की चेतावनी दी है.

Gehlot government, labor organization
गहलोत सरकार पर श्रमकों की घोर उपेक्षा का आरोप

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Published : Dec 22, 2021, 6:49 PM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार एक तरफ 3 वर्ष पूरा होने का जश्न मना रही है, वहीं श्रमिक संगठनों ने गहलोत सरकार पर घोर उपेक्षा का आरोप लगाया है. भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) की ओर से बुधवार को कहा गया कि सरकार के 3 साल बीतने के बावजूद राजस्थान श्रम सलाहकार बोर्ड (Rajasthan Labour advisory Board) का गठन नहीं किया है. राज्य का श्रम विभाग भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है.

सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र शुक्ला ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि गहलोत सरकार ने राज्य में पूंजी निवेश की लालसा में पूंजीपति वर्ग को कई प्रकार से श्रमिकों का शोषण करने और श्रम कानूनों का उल्लंघन करने का संरक्षण दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य का श्रम विभाग भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है. राज्य के श्रम आयुक्त सहित कई अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार हो चुके हैं. श्रम विभाग मजदूरों की बजाय बड़े कारखाना मालिकों की मदद कर रहा है.

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शुक्ला ने कहा कि गहलोत सरकार को बने हुए 3 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन अब तक राजस्थान श्रम सलाहकार बोर्ड व अन्य त्रिपक्षीय कमेटियों का केंद्रीय श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ गठन नहीं किया गया है. कमेटियों का गठन नहीं होने से श्रमिकों का गठन नहीं हो पा रहा. उन्होंने आरोप लगाया कि एनसीआर क्षेत्र में नीमराणा बहरोड क्षेत्र में अलग-अलग कंपनियों के जोन बनाए हुए हैं. इन विदेशी कंपनियों के जोन में राज्य के श्रमिकों का शोषण हो रहा है. वहां की पुलिस उनके साथ मिली हुई है.

गहलोत सरकार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पिछले 3 सालों में कोई भी कल्याणकारी योजनाओं नहीं ला पाई. आंगनबाड़ी आशा, मिड डे मील में लगे कर्मचारियों को न्यूनतम से भी कम मजदूरी दी जा रही है. शुक्ला ने कहा कि राज्य के श्रम विभाग में 3 सालों में रिक्त पदों को नहीं भरा गया है. कार्मिकों की कमी के कारण एक अधिकारी के पास तीन से चार जिलों का कार्यभार है. राज्य में नरेगा श्रमिकों, खेती हर मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा के नाम पर कोई सुविधा नहीं दी जा रही है. बल्कि इनसे बजट में लगातार कमी किए जाने से नरेगा में कार्यरत श्रमिकों को 200 दिन साल में काम नहीं मिल पा रहा.

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शुक्ला ने कहा कि पूर्व वसुन्धरा राजे सरकार में प्रदेश को मोदी सरकार की प्रयोगशाला बनाते हुए श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन किए थे. उन संशोधनों का गहलोत सरकार ने भी विरोध किया था. अब 3 साल बीतने के बावजूद भी गहलोत सरकार ने उन कानूनों को रिपील करने का कोई कदम नहीं उठाया.

महामंत्री बीएस राणा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित मानदंडों के अनुसार राज्य में न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण नहीं किया जा रहा. महंगाई भत्ते को न्यूनतम मजदूरी से नहीं जोड़ा जा रहा है. गहलोत सरकार ने न्यूनतम मजदूरी भी कम कर दी. तीन साल में गहलोत सरकार ने श्रमिकों की समस्याओं पर आज तक केंद्रीय श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों से कोई विचार-विमर्श नहीं किया.

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23 और 24 फरवरी को हड़ताल

शुक्ला ने बताया कि ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा ने 23 और 24 फरवरी को पूरे देश में सामूहिक हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने भी इसका समर्थन किया है. एक तरह से पूरा भारत बंद रहेगा और इसे एलआईसी, बैंक, रेलवे, बीमा, स्टील फर्टिलाइजर कॉल फेडरेशन ने भी अपना समर्थन दिया है.

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