जयपुर. डिस्कॉम के इस मोबाइल संदेश के पीछे मकसद तो बिजली संकट के दौरान आम उपभोक्ताओं को कम से कम बिजली का उपभोग करने की सलाह देना है, लेकिन इसी संदेश के जरिए आम बिजली उपभोक्ताओं तक यह भी बात पहुंचाई जा रही है कि बिजली संकट के पीछे प्रदेश सरकार नहीं, बल्कि कोयले की कमी और केंद्रीय कोयला मंत्रालय जिम्मेदार है. क्योंकि राजस्थान में कोयले की आपूर्ति कोल इंडिया और उससे जुड़े उपक्रमों के माध्यम से ही हो रही है और कोयले पर सीधे तौर पर नियंत्रण केंद्र का है.
कोयले की कमी और पेमेंट को लेकर राज्य और केंद्र सरकार में मतभेद : देश के विभिन्न राज्यों में कोयले की कमी का हवाला देकर बिजली संकट की बात सामने आ रही है. लेकिन केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने इस पर आपत्ति उठाई है. राजस्थान के संदर्भ में तो यह तक कह दिया गया कि 400 से 500 करोड़ रुपए कोयले के भुगतान का बकाया चल रहा है.
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हालांकि, राजस्थान सरकार और ऊर्जा विभाग ने इससे साफ तौर पर इंकार किया है. साथ ही यह तक कह दिया कि कोल इंडिया की दो में से एक कंपनी को तो प्रदेश सरकार ने एडवांस में पैसा दिया हुआ है और दूसरी कंपनी से 459 करोड़ रुपए का क्लेम भी मांगा गया है. मतलब राज्य सरकार का क्लेम है, कोयले का भुगतान बकाया नहीं बल्कि एडवांस में दिया गया है.
राजस्थान में कोयला आधारित प्लांट की ये है स्थिति : राजस्थान में कोयला आधारित उत्पादन इकाइयों की यदि बात की जाए तो सरकारी क्षेत्र में संचालित इकाइयों की क्षमता 7830 मेगावाट और निजी क्षेत्र में संचालित इकाइयों की क्षमता 2400 मेगावाट है. लेकिन सरकारी क्षेत्र में कोयला आधारित इकाइयों में 3975 मेगावाट कम उत्पादन हो रहा है मतलब 51 फीसदी बिजली उत्पादन उत्पादन की कमी कोयले की कमी के चलते हो रही है. वहीं, निजी क्षेत्र में कुल क्षमता का 33 फीसदी उत्पादन कम हो रहा है. यह स्थिति मंगलवार देर रात तक की है.