जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में खिले गुलदाऊदी के फूल पिछले 35 साल से गुलाबी नगरी में रंग-बिरंगी छटा बिखेर रहे हैं. बहुत कम लोग गुलदाऊदी के औषधीय गुणों से वाकिफ हैं. लेकिन अब गुलदाऊदी के इन औषधीय गुणों के व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही इसकी व्यावसायिक खेती की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं.
खास बात यह है कि गुलदाऊदी के फूल जहां लगे होते हैं, वहां मादा मच्छर नहीं पनपती हैं. इससे मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलती है. दरअसल, राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में पिछले 35 साल से गुलदाऊदी की प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा है. नर्सरी में गुलदाऊदी के पौधे तैयार करके इनकी प्रदर्शनी लगाई जाती है और शहर के लोग उत्साह से इनकी खरीदारी करते हैं. इस प्रदर्शनी का मंगलवार को आगाज हुआ है. आज और कल बुधवार को प्रदर्शनी होगी. इसके बाद 16 दिसंबर को गुलदाऊदी के रंग-बिरंगे पौधों की बिक्री होगी. गुलदाऊदी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने पहुंचे तकनीकी शिक्षा और आयुर्वेद मंत्री सुभाष गर्ग (Ayurveda Minister Subhash Garg) ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में पिछले 35 साल से गुलदाऊदी की प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा है.
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यह यहां की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा है. खुशी की बात है कि गुलदाऊदी प्रदर्शनी की प्रतियोगिता में राजस्थान विश्वविद्यालय हमेशा अव्वल रहता है. उन्होंने कहा कि गुलदाऊदी के फूलों के औषधीय गुणों के बारे में कम ही लोगों को पता है. सबसे खास बात यह है कि जहां यह पौधा लगा होता है और जहां इसके फूल खिले होते हैं. वहां मादा मच्छर नहीं पनप पाती हैं. ऐसे में मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों को रोकने में यह पौधा सहायक साबित हो सकता है. इसके साथ ही इसके बहुत से औषधीय गुण हैं. जिनके बारे में रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही हैं. इसके साथ ही इनके व्यावसायिक उपयोग की संभावनाएं भी तलाश की जा रही हैं. जिससे राजस्थान के किसान व्यावसायिक रूप से बड़े पैमाने पर गुलदाऊदी की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें.