जयपुर. राजस्थान विधानसभा में बाल दिवस के अवसर पर 'बाल सत्र' का आयोजन किया गया. बाल सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल हुआ, जिसमें बच्चों ने सदन में कई गंभीर मुद्दे बतौर जनप्रतिनिधियों के रूप में उठाए.
इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मजबूत लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया. बाल सत्र में बच्चों ने जनप्रतिनिधियों की भूमिका निभाते हुए सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल में प्रदेश से जुड़े कई गंभीर मसले भी उठाए. प्रश्नकाल में बच्चों ने बाल विवाह कुप्रथा रोकने, प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ाने, गौशाला के विकास से जुड़े सवालों के साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी और युवा पीढ़ी को हो रहे उससे नुकसान सहित शिक्षा, पर्यटन, उद्योग और कोरोना के दौरान निजी स्कूलों द्वारा वसूली गई जबरन फीस से जुड़े मामले उठाए.
प्रश्नकाल में तो शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास मादक पदार्थों की तस्करी और बच्चों व युवा पीढ़ी में नशीले पदार्थों के बढ़ते सेवन आदि के मामले में सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर प्रतिपक्ष के विधायकों ने वेल में आकर हंगामा भी किया. तो वहीं शून्यकाल में जयपुर में एक नामी स्कूल के टीचर की ओर से स्टूडेंट्स को अश्लील मैसेज भेजने, प्रदेश में डेंगू के बढ़ते कहर और परीक्षाओं के दौरान नोटबंदी से जुड़े मामले को भी उठाया गया.
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोती भी इस बाल सत्र में शामिल हुई और नियम 295 के तहत वन्य अभ्यारण के आसपास रहने वाले लोगों की स्थिति और बाघों के संरक्षण से जुड़ा मामला उठाया. शून्यकाल में नोटबंदी के मामले में प्रतिपक्ष के सदस्य रूपी बच्चों ने हंगामा भी किया और सरकार से जवाब की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन तक कर दिया. कुल मिलाकर बच्चों ने तार्किक तरीके जनप्रतिनिधियों की भूमिका निभाते हुए ज्वलंत मुद्दों को उठाया.
लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी से मजबूत होगा लोकतंत्र- बिरला
बाल सत्र के समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की जितनी अधिक सक्रिय भागीदारी होगी उतना ही लोकतंत्र मजबूत और सशक्त होगा. साथ ही शासन जवाबदेय होगा और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी. ओम बिरला ने कहा आज जरूरत इस बात की है कि लोकतंत्र में जनभागीदारी बड़े केवल मतदान कर सरकार चुनने ताकि जनता की भागीदारी न हो बल्कि लोकतंत्र के हर विषय में सक्रिय भागीदारी होगी तो ही लोकतंत्र में मजबूती आएगी. बिड़ला ने इस दौरान यह भी कहा कि आज कानून बनाते समय विधायिका में लंबी चर्चा और संवाद का दौर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जो चिंता का विषय है. बिरला ने कहा कि यह बाल सत्र से प्रेरणा मिलेगी और इसी के जरिए नए भारत के निर्माण में भी सहायता मिलेगी.