जयपुर.उसका वो जुनून ही था जिसने उसे भीड़ से अलग खड़ा कर दिया. जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते है. उस उम्र में पढ़ने के शौक ने उसे लेखक बना दिया. जयपुर की रिशिका कासलीवाल की जिसकी उम्र महज दस साल की है, लेकिन उसने इतनी छोटी उम्र में दो पुस्तक लिख दी. दस साल की रिशिका कासलीवाल ने किताबें पढ़ने को अपना शौक ही नहीं बनाया, बल्कि एक प्रिंसेस को पात्र बनाकर अंग्रेजी में पुस्तक लिख डाली. इंग्लिश में लिखी इस प्रिंसेस की कहानी के अलावा रिशिका अंग्रेजी में कविताओं की रचनाएं भी करती हैं. छोटी छोटी कहानी और कविताओं के संग्रहण से बनी दूसरी पुस्तक सितम्बर में 'फायर फ्लाइस ऑफ माय थोट्स' के नाम से प्रकाशित होगी.
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पुस्तक पढ़ने का जगा रिशिका को शौक
पांच साल की उम्र से रिशिका में पुस्तक पढ़ने का शौक पनपा. जोकि एक जुनून की हद तक जा पहुंचा और वे एक दिन में दो-दो किताबें तक पढ़ डालती. रिशिका ने अब तक करीब 700 अलग-अलग पुस्तक पढ़ ली. अपने पसंदीदा लेखक ब्रिटिश आर्थर एनिड ब्लायटन की लिखी सभी किताबों को पढ़ा, लेखक जे के रोलिंग की हैरी पॉटर ने इन्हें बहुत प्रभावित किया. जादू और रहस्यमय चरित्रों से भरी ये कहानियां मानों रिशिका को एक अलग दुनिया में ले जाती थी. इस काल्पनिक दुनिया में रिशिका को जो आनन्द आता था, वैसा ही वे अपनी कल्पनाओं में सोचती थी और इसके बाद रिशिका को लगा की उन्हें भी एसी एक कहानी लिखनी चाहिए ताकि उनकी उम्र के बच्चों को वे एक मैसेज दें सकें की पुस्तकों से भागना नहीं बल्कि उन्हें एक शौक की तरह पढ़ना चाहिए.
किताबों को लेकर नन्हीं लेखिका ये सोचती है
किताबों के प्रति रिशिका का नजरिया है कि किताबें महज टाइम पास का तरीका न होकर जानकारी बढ़ाने, कल्पना का विस्तार करने और अपने विचारों को ताजगी देने का जरिया है. किताबें पढ़ने के लिये सभी को समय निकालना चाहिए. रिशिका की मां रश्मि कासलीवाल बताती है कि रिशिका का पढ़ने का जुनून इस कदर हावी है कि हर वक्त हाथ में किताब रहती है और अकसर रात को डांट कर सुलाना पड़ता है. इतना ही नहीं उन्होंने कभी किसी खिलौने की डिमांड नहीं की बस जब भी कोई कुछ लाने की बात कहता तो वे पुस्तक के नामों के साथ लिस्ट थमा देती.
रिशिका कासलीवाल से खास बातचीत रिशिका को लिखने का जुनून जगा
अलग-अलग लेखकों की किताबें पढ़कर रिशिका बेहद प्रभावित हुई और उसमें एक लेखक जाग उठा. मार्च 2017 में रोजमर्रा की तरह नोट बुक लेकर तो बैठी, लेकिन मन के ख्यालों को कहानी के रूप में अक्षरों में उकेरना शुरू कर दिया. देखते ही देखते उसने अपनी छोटी सोच के साथ उसने एक बड़ी कल्पना से ओतप्रोत कहानी लिख डाली. जिसका नाम दिया 'एडवेंचर्स ऑफ प्रिंसेस क्लारा'. एक कहानी मुकम्मल होने के बाद रिशिका ने अपने इस शौक से अपने परेंट्स को अवगत कराया तो परिवार वालों ने रिशिका की खुशी के लिए इस किताब को छपवाया, हालांकि जब पहली पुस्तक छपी तब तक रिशिका के परिवार वाले भी नहीं समझ पा रहे थे कि ये छोटी सी बच्ची एक बड़ी उड़ान भरने जा रही है. रिशिका की मां रश्मि कासलीवाल ने बताया कि पहली पुस्तक के प्रकाशन के बाद परिवारवालों, जानकारों और दोस्तों से जो रेश्पोंस मिला. उसके बाद लगा की रिशिका का पढ़ने-लिखने का शौक मात्र शौक तक नहीं है. इस लिए हमने उसकी अब तक की लिखी छोटी बड़ी कहानियों और कविताओं में से कुछ चुनिंदा कृतियों को संग्रहित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाया है. जो सितम्बर के पहले सप्ताह में बाजार में उपलब्ध होगी.
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रिशिका को लिखने के साथ-साथ पेंटिंग का भी शौक
ऐसा नहीं कि रिशिका केवल लिखने-पढ़ने में माहिर है, बल्कि वो पेंटिंग भी बहुत खूबसूरत बनाती है और बेली डांस करना भी पसंद करती हैं. रिशिका उन बच्चों के लिए भी एक इंप्रेशन है जो लिखने पढ़ने को बोझ समझते है. साथ उन पेरेंट्स के लिए भी सीख है जो अपने बच्चों के हुनर को देख कर भी अनदेखा कर देते है. हर बच्चे में एक खासियत होती है, बस पेरेंट्स को उसे पहचानना होगा जैसा रिशिका के परिवार ने पहचाना.