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कोरोना काल ने मासूमों से छीना बचपन और सपने, राजस्थान में बढ़े बालश्रम और भिक्षावृत्ति के मामले

कोरोना काल से उपजे हालातों का हालातों का दंश उन मासूमों पर भारी है जो मबूरन बालश्रम (Child Labor in Rajasthan) को मजबूर हैं या उन्हें धकेल दिया गया. राजस्थान में बाल मजदूरी और बाल भिक्षावृत्ति (child labor and begging in Rajasthan) के बढ़ते आंकड़े चिंता का विषय हैं. रोकथाम के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है और आयोग इसमें क्या भूमिका निभा रहा है, ऐसी ही मुद्दों पर बातचीत ईटीवी भारत ने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल (Sangeeta Beniwal) से खास बातचीत की.

राजस्थान में बालश्रम
राजस्थान में बालश्रम

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Published : Jul 13, 2021, 1:13 PM IST

जयपुर : कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के बाद अब इसके साइड इफेक्ट तेजी से सामने आने लगे हैं. प्रदेश में बाल श्रमिकों के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हुआ है. बच्चों ने कॉपी-किताबों को छोड़कर बाल श्रम की ओर रुख कर लिया है. बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि स्कूल से ड्रॉप आउट हो रहे बच्चों को एक बार फिर शिक्षा से जोड़ने के लिए बाल आयोग सम्बंधित विभागों के साथ मिल कर विशेष अभियान शुरू करने जा रहा है.

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल का Exclusive Interview

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि कोरोना संक्रमण के बाद जो हालात बने हैं, उसमें बड़ी संख्या में बालश्रम के आंकड़े बढ़े हैं. बच्चे स्कूल से ड्रॉपआउट होकर बाल श्रम की ओर बढ़ गए हैं. उन्होंने कहा कि अब इन बच्चों को जल्द ही वापस शिक्षा से जोड़ा जाएगा. बालश्रम और भिक्षावृत्ति से बच्चों को बाहर निकालने के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है. इस दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि भिक्षावृत्ति और बाल श्रम में लिप्त बच्चों को विशेष अभियान चलाकर इस अभिशाप से बाहर निकाला जाए.

बेनीवाल ने कहा कि बैठक में सबसे बड़ी चिंता बच्चों की पुनर्वास को लेकर थी क्योंकि हर बार अभियान चलाया जाता है, लेकिन वक्त के साथ इसके परिणाम धरातल पर नहीं मिलते. ऐसे में इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशा की पालना करते हुए बच्चों के पुनर्वास को लेकर कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं. बच्चों को बाल श्रम और भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने के बाद किस तरह से उन्हें पुनर्वास दिया जाए और शिक्षा से जोड़ा जाए इसका मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. इससे बच्चों को बालश्रम और भिक्षावर्ति की पुनरावृत्ति नहीं होगी.

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स्किल डेवलपमेंट में सिखाएंगे काम -संगीता बेनीवाल ने कहा कि खासतौर से यह दिक्कत आ रही है कि बच्चों को परिवार से दूर नहीं किया जा सकता. आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से जो परिवार बच्चों से बालश्रम या भिक्षावृत्ति करा रहे हैं उन्हें साथ जोड़ा जाएगा. ऐसे परिवार के सदस्यों को स्किल डेवलपमेंट के जरिए रोजगार से जोड़ा जाएगा ताकि वह बच्चों को भिक्षावृत्ति या बाल श्रम के लिए मजबूर नहीं करें. माता पिता स्किल डेवलपमेंट के तहत सक्षम हो जाएंगे तो बच्चों को इस तरह से बालश्रम और भिक्षावृत्ति करने की जरूरत ही नहीं होगी.

कोरोना के बाद आंकड़ों में हुआ इजाफा -संगीता बेनीवाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से जो हालात बने हैं, उसके बाद मध्यम और निम्न वर्ग के सामने रोजगार की बड़ी दिक्कतें आई हैं. यही वजह है कि भिक्षावृत्ति और बालश्रम के मामले ज्यादा बढ़े हैं. कोरोना काल में कई परिवारों का रोजगार छिन गया जिसकी वजह से अब बच्चे उनका हाथ बंटा रहे हैं. ऐसे बच्चों को भी आयोग सर्वे के जरिए चयनित कर रहा है. साथ ही स्कूलों में निर्देश दिए हैं कि वह अपनी सूची तैयार करके आयोग को अवगत कराएं कि कितने बच्चे स्कूल से ड्रॉपआउट हुए. उन बच्चों को किस तरह से फिर से शिक्षा से जोड़ा जा सकता है, इसको लेकर कार्य किया जाए.

राजस्थान में बालश्रम के आंकड़ों पर एक नजर

आगामी सोमवार से चलेगा सगन अभियान - बेनीवाल ने कहा कि सभी विभाग मिलकर आगामी सोमवार यानि 19 जुलाई से अभियान शुरू करेंगे जिसमें बाल श्रम और भिक्षावृत्ति की गिरफ्त में आए बच्चों को मुक्त कराया जाएगा. जहां मामले ज्यादा हैं उन शहरों के सभी चौराहों और बालश्रम की शिकायतों वाले क्षेत्रों का औचक निरीक्षण किया जाएगा.

बच्चों के हाथों में फिर होंगी किताबें -आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि यह सही है कि बच्चों के हाथों से कॉपी किताब छिन गया है लेकिन हमारी कोशिश है कि उनके हाथों में किताबें और कलम हो. न कि वो खिलोने जिन्हें बेचते हुए उनको अक्सर देखा जाता है.

राजस्थान में 10 हजार से ज्यादा बाल श्रमिक - एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 10,000 से ज्यादा बाल श्रमिक है जो अलग-अलग तरह से बाल श्रम की कालकोठरी में काम करने को मजबूर हैं. सबसे ज्यादा संख्या जयपुर जिले की है, जहां करीब 5 से साढ़े 5 हजार बच्चे बाल श्रम करने को मजबूर हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में जयपुर के प्रमुख चौराहों पर बच्चों को भिक्षावृत्ति करते हुए भी देखा जाता है. आंकड़ों के मुताबिक अकेले जयपुर में करीब 500 से ज्यादा बच्चे चौराहों पर भिक्षा मांगते हैं. पूरे राजस्थान की अगर बात करें तो बाल भिक्षावृत्ति की संख्या लगभग 1250 से ऊपर है.

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80 फ़ीसदी नहीं चाहते भिक्षा मांगना -पिछले दिनों मुख्य सचिव निरंजन आर्य की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक सर्वे सामने आया था. जिसमें बताया गया था कि राजस्थान में 80 फीस भीखारी भिक्षावृत्ति नहीं करना चाहते. रोजगार के संकट की वजह से उन्हें मजबूरन भिक्षावृत्ति करनी पड़ रही है. यह सर्वे जयपुर में 1162 भिक्षावृत्ति में लगे लोगों पर किया गया था जिसमें से 898 ने भिक्षावृत्ति छोड़ रोजगार करने की इच्छा जताई है.

आपको बता दें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों श्रम विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान निर्देश दिए थे कि राजस्थान को भिक्षावृत्ति मुक्त प्रदेश बनाया जाए. इसको लेकर सभी संबंधित विभाग अपनी-अपनी कार्य योजना बनाकर जल्दी काम शुरू करें. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश के बाद मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक कर प्रदेश को विकसित भर्ती मुक्त बनाने के निर्देश दिए थे.

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