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'राज्य की बौद्धिक संपदा अधिकार नीति' से युवाओं को नए अवसर उपल्बध होंगे : निरंजन आर्य

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए 'राज्य की बौद्धिक संपदा अधिकार नीति' बनाई जा रही है. जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा मिलेगा और युवा वर्ग को नए अवसर भी मिलेंगे.

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मुख्य सचिव निरंजन आर्य

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Published : Nov 19, 2020, 8:53 PM IST

जयपुर.मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि राजस्थान में उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणात्मक इजाफा हुआ है, जिससे राज्य के युवाओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च अध्ययन एवं शोध के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए 'राज्य की बौद्धिक संपदा अधिकार नीति' बनाई जा रही है. जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा मिलेगा और युवा वर्ग को नए अवसर भी मिलेंगे.

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सीएस निरंजन आर्य ने यह बात गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्मदिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय एकता दिवस पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की तरफ से राज्य के युवाओं के लिए आयोजित स्टेम वेबीनार श्रृंखला के उद्घाटन सत्र के दौरान कही. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी का राष्ट्र के विकास में अमूल्य एवं अविस्मरणीय योगदान रहा है. इंदिरा गांधी की पहचान लौह महिला के रूप में भारत के इतिहास में दर्ज है. इंदिरा गांधी राष्ट्र की युवा पीढ़ी की प्रेरणा स्त्रोत हैं.

इस मौके पर शासन सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, कैलाश चन्द वर्मा ने बताया गया कि 3 दिवसीय वेबीनार सीरीज के माध्यम से राज्य के युवाओं को भारत के लब्ध प्रतिष्ठित संस्थानों में स्कॉलरशिप, इंटर्नशिप रोजगार के अवसर एवं शोध के नवीन आयामों के बारे में विस्तृत एवं तकनीकी जानकारी विशेषज्ञों से प्राप्त होगी.

केसी वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से भी विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों को प्रति वर्ष रिसर्च प्रोजेक्ट्स के माध्यम से अवसर प्रदान किया जाता है. वेबीनार श्रृंखला में 19 से 21 नवम्बर तक परमाणु उर्जा विभाग, बायोटेक्नोलोजी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के 18 विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा युवाओं की जिज्ञासा का हल किया जाएगा.

19 नवम्बर को कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केन्द्र हैदराबाद, रीजनल सेन्टर फॉर बायोटेक्नोलोजी फरीदाबाद, जेसी बोस संस्थान कोलकाता, नेशनल सेन्टर फॉर सेल साइन्सेज पुणे, स्टेम सैल विज्ञान एवं पुनर्योजी चिकित्सा संस्थान बैंगलोर के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों को विभिन्न अवसरों के बारे में तकनीकी जानकारी दी.

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