जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार के बेहतरीन प्रबंधन से प्रदेश में कोरोना की स्थिति अब काफी नियंत्रण में है. मृत्यु दर लगातार कम हो रही है, रिकवरी रेट बढ़ रही है और केस डबलिंग टाइम जो नवम्बर में 58 दिन हो गया था, अब 214 दिन हो गया है. यह सब सुखद संकेत हैं, लेकिन जब तक कोरोना पूरी तरह नहीं चला जाता तब तक हमें इसी मुस्तैदी के साथ काम करना होगा. मुख्यमंत्री रविवार को अपने निवास पर कोविड 19 प्रबंधन से जुड़ी समीक्षा बैठक ले रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि अब वैक्सीनेशन की तैयारियों को और तेज करने की आवश्यकता है. इसके लिए उन्होंने राज्य स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक चिकित्सा और अन्य संबंधित कार्मिकों को गहन प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने कहा कि वैक्सीन के परिवहन के साथ-साथ प्रशिक्षण एवं लोगों को इसके लिए मोटिवेट करने पर विशेष जोर दिया जाए. उन्होंने वैक्सीनेशन के लिए सेंटर्स पर तमाम सुविधाएं विकसित करने के भी निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर आमजन में जागरूकता के लिए एक प्रभावी कम्यूनिकेशन प्लान बनाया जाए. साथ ही व्यापक प्रचार-प्रसार कर लोगों को वैक्सीन तथा इसके प्रोटोकॉल के संबंध में आवश्यक जानकारी दी जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है. देश में जैसे ही वैक्सीनेशन शुरू होता है, कोरोना की तरह हमें टीकाकरण प्रबंधन में भी उसी भावना और मनोयोग के साथ पूरी तैयारी से जुटना है.
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गहलोत ने कहा कि वैक्सीनेशन करने और मोटिवेशन के लिए अलग-अलग टीमें तैयार कर उन्हें गहन प्रशिक्षण दें. खासकर ऐसे चिकित्साकर्मी जो टीकाकरण के काम से सीधे जुडे़ं हैं, उन्हें इसके हर पहलू की जानकारी दी जाए, ताकि किसी भी स्तर पर चूक की कोई गुंजाइश नहीं रहे हैं. उन्होंने विभिन्न देशों में वैक्सीन के अनुभव का भी गहन विश्लेषण करने के निर्देश दिए और कहा कि प्रदेश की परिस्थितियों में उनके प्रभाव का भी अभी से आकलन किया जाए. गहलोत ने कोरोना को लेकर प्रभावी जागरूकता अभियान के लिए सूचना जनसम्पर्क विभाग तथा स्वायत्त शासन विभाग के प्रयासों को सराहा.
चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि शत-प्रतिशत आरटी-पीसीआर टेस्ट के बावजूद पॉजिटिविटी रेट का लगातार गिरना अच्छा संकेत है. पिछले एक सप्ताह में तो संक्रमण की दर 3.75 प्रतिशत ही रह गई है. दिवाली के आस-पास जयपुर में जहां प्रतिदिन केसों की संख्या 700 तक पहुंच गई थी, वह अब घटकर मात्र 140 के आस-पास रह गई है. संक्रमित केसों में गिरावट की ऐसी ही स्थिति प्रदेश के अन्य शहरों में भी दिखाई दे रही है. इसी तरह ऑक्सीजन एवं वेंटीलेटर्स की मांग भी काफी कम हो गई है. आरयूएचएस अस्पताल में 1200 बैड की क्षमता के विरूद्ध अब कोरोना के मात्र 137 मरीज भर्ती हैं. उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन एवं इसकी गाइडलाइन को लेकर प्रशिक्षण व्यापक स्तर पर प्रारम्भ कर दिया है.
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राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार ने सार्स वन, एच1 एन1 और मर्स वायरस के अनुभवों का जिक्र करते हुए वायरस की प्रकृति के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हर वायरस की बर्थ सर्किल के साथ-साथ डेथ सर्किल भी होती है और एक समय बाद उसका प्रभाव कम होता जाता है. एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भण्डारी ने बताया कि एसएमएस और इससे संबद्ध अस्पतालों में 15 रोल मॉडल वैक्सीनेशन सेंटर्स विकसित किए जा रहे हैं. इन्हीं के अनुरूप प्रदेश के अन्य चिकित्सालयों में भी टीकाकरण केंद्र बनाए जा सकते हैं.
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि सर्दी बढ़ने पर इस बीमारी के बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई थी, लेकिन केसों की संख्या लगातार कम होना यह संकेत भी देता है कि हम हर्ड इम्यूनिटी के नजदीक हो सकते हैं. चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. पीआर गुप्ता, डॉ. एमएल गुप्ता, डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. रामबाबू शर्मा, डॉ. अभिषेक अग्रवाल, डॉ. धर्मेश कुमार ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विचार व्यक्त किए. बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य, पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर, प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार, चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया, स्वायत्त शासन विभाग के शासन सचिव भवानी सिंह देथा, सूचना जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.