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'देश नहीं झुकने दूंगा, देश नहीं बिकने दूंगा' का दावा करने वाले एक-एक कर बेच रहे हैं सरकारी संस्थानः गहलोत

केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल के बजट-2020 पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि 'देश नहीं झुकने दूंगा, देश नहीं बिकने दूंगा' का दावा करने वाले अब खुद ही देश को बेचने में लगे है.

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बजट-2020 पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान

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Published : Feb 1, 2020, 11:42 PM IST

जयपुर. केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल के बजट-2020 पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि 'देश नहीं झुकने दूंगा, देश नहीं बिकने दूंगा' का दावा करने वाले एक-एक कर देश के सभी बड़े सरकारी उपक्रमों को बेचने में लगे हैं. एयर इंडिया के बाद अब केन्द्र सरकार ने बजट में एलआईसी, आईडीबीआई जैसे संस्थानों को बेचने और भारतीय रेल के निजीकरण का ऐलान कर दिया है.

बजट-2020 पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान

उन्होंने कहा कि युवाओं, महिलाओं, किसानों और व्यापारियों के लिए केन्द्रीय बजट 2020-21 घोर निराशावादी है. गहलोत ने कहा कि जापान के प्रधानमंत्री को भारत में बुलाकर जिस बुलेट ट्रेन को प्रचारित किया गया था, उस पर इस बजट में कोई चर्चा नहीं की गई है. केन्द्र के बजट में पूरा फोकस कुछ बड़े औद्योगिक घरानों को फायदा देने पर है. इसका उदाहरण है नए उद्योगों के लिए कॉरपोरेट टैक्स 22 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करना, जिससे केन्द्र सरकार को लाखों-करोड़ों रुपये का राजस्व घाटा होगा.

केन्द्र ने राज्य के 20,000 करोड़ रुपए काटे

मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में केन्द्रीय करो में राजस्थान को मिलने वाली हिस्सा राशि के लिए वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में 46,411 करोड़ रुपए दिये जाने का प्रावधान रखा गया था, जिसे संशोधित अनुमान में घटाकर 36,049 करोड़ रुपये कर दिया है. इस प्रकार, राज्य को मिलने वाली करो में हिस्सा राशि में कुल 10,362 करोड़ रूपये की कमी की गई है.

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इसी प्रकार, वर्ष 2019-20 के बजट अनुमानों में विभिन्न योजनाओं के लिए घोषित केन्द्रीय अनुदान राशि में 4,000 करोड़ रुपये की भारी कमी की गई है. इसके चलते समस्त योजनाओं के क्रियान्वयन में कटौतियां की जाएंगी, जो राज्य के विकास में बाधक होंगी. वित्त वर्ष समाप्त होने को है, केन्द्र की ओर से राजस्थान को मिलने वाली राशि में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी की गई है.

रक्षा क्षेत्र और खेलों को बढ़ावा देने का जिक्र नहीं

सीएम गहलोत ने कहा कि केन्द्रीय बजट में मनरेगा और ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं के लिए प्रावधान को बढ़ाया नहीं गया है. साथ ही, मनरेगा जो कि केन्द्र सरकार ने संसद की ओर से पारित अधिनियम से लागू की गई है, उसमें भी मजदूरों के भुगतान का पैसा केन्द्र की ओर से समय पर जारी नहीं किया जा रहा है. चौपट हो रहे उद्योग धन्धों और उत्पादन के गिरते स्तर को रोकने के लिए भी बजट में कोई कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र और खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाओं का कोई भी जिक्र बजट में नहीं है.

प्रदेश की रेल परियोजनाओं की मांग नकारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की जनता डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा, अजमेर-सवाई माधोपुर वाया टोंक, धौलपुर-सरमथुरा आमान परिवर्तन व गंगापुर सिटी तक वृद्धि, पुष्कर से मेड़ता रोड व जैसलमेर-बाड़मेर-कांड़ला बंदरगाह तक नई रेल लाइन परियोजनाओं और भीलवाड़ा में मेमू कोच फैक्ट्री शुरू करने के लिए लम्बे समय से मांग कर रही है. मैंने इनके लिए प्रधानमंत्री, रेलमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर बजट 2020-21 में इन परियोजनाओं के लिए प्रावधान करने का आग्रह किया था. मेमू कोच फैक्ट्री का तो वर्ष 2012 में शिलान्यास भी कर दिया गया था. लेकिन वित्त मंत्री के बजट भाषण में राजस्थान के लिए रेल परियोजनाओं का कोई जिक्र नहीं किया गया है, जो प्रदेशवासियों के लिए अत्यन्त निराशाजनक है. उन्हाेंने कहा कि प्रदेश के मरूस्थलीय क्षेत्र के लिए कोई विशेष योजना नहीं की गई है.

फिर बजाया किसानों की आय दोगुनी करने का झुनझुना

सीएम गहलोत ने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री ने देश के किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा एक बार फिर से दोहरा दिया है, जबकि बीते पांच साल में इस दिशा में कुछ भी नहीं किया गया. किसानों के लिए जिन योजनाओं का जिक्र बजट भाषण में किया गया, वे सभी पहले से ही संचालित हैं. कुसुम योजना पिछले बजट में शुरू कर दी गई थी, जिसमें केेन्द्र सरकार की हिस्सेदारी मात्र 30 प्रतिशत है. शेष में से 30 प्रतिशत राज्य सरकार और 40 प्रतिशत किसान को खुद देना पड़ता है.

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मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार के नोटबंदी के बाद करदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि के दावे को गलत करार दिया है. उन्होंने कहा कि साल 2014 में देश में 5.28 करोड़ करदाता थे, जो साल 2018 में बढ़कर 7.14 करोड़ हुए हैं. यह वृद्धि पिछले कई वर्षों में होने वाली औसत वृद्धि दर 10 प्रतिशत के बराबर ही है.

सीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए 4,137 करोड़ रुपये जारी नहीं किए

गहलोत ने कहा कि 3 साल पहले जीएसटी लागू करने के बाद से अब तक वस्तु सेवा कर अधिनियम में 350 बार संशोधन किया जा चुका है. बार-बार बदलाव करने से इसके क्रियान्वयन में तो दिक्कत आ ही रही है, राजस्व संग्रहण में भी भारी कमी आई है. त्रुटिपूर्ण जीएसटी के चलते राज्यों को क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं हुआ है. राजस्थान के लिए 4,137 करोड़ रुपये की सीएसटी क्षतिपूर्ति राशि जारी नहीं की गई है. साथ ही केन्द्र सरकार की ओर से राजस्थान को 4 महीने के जीएसटी राजस्व के रूप में 2600 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ है.

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