जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने और इसे संवैधानिक मान्यता देने का अनुरोध किया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने पत्र में लिखा कि उनके पिछले कार्यकाल में राजस्थान विधानसभा ने वर्ष 2003 में सर्वसम्मति से एक संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था.
जिसमें राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित करने का अनुरोध किया गया था. जिसके बाद भी कई बार राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुरोध किया जाता रहा है.
गहलोत ने पत्र में आगे लिखा है कि राजस्थानी देश की समृद्धतम स्वतंत्र भाषाओं में से एक है जिसका अपना इतिहास है. राजस्थानी के बारे में लगभग 1000 ई. से 1500 ई. के कालखंड को ध्यान में रखकर गुजराती भाषा और साहित्य के मर्मज्ञ स्व. झवेरचंद मेघाणी ने भी लिखा है कि राजस्थानी व्यापक बोलचाल की भाषा है और इसी की पुत्रियां बाद में ब्रजभाषा, गुजराती का नाम धारण कर स्वतंत्र भाषाएं बनी. अन्य भाषाओं की तरह ही राजस्थानी की भी मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढ़ाड़ी, वागड़ी कई बोलियां हैं. ये बोलियां इसे वैसे ही समृद्ध करती हैं जैसे पेड़ को उसकी शाखाएं.
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