जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की नवीन सिंचाई परियोजनाओं में बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई पद्धति से परियोजना बनाया जाना अनिवार्य रूप से लागू करें. सिंचाई तथा पीने के लिए पानी की सीमित उपलब्धता के चलते यह बहुत आवश्यक है कि पानी की एक-एक बूंद का समुचित उपयोग हो.
सीएम अशोक गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि विभाग में प्रगतिरत परियोजनाओं में बूंद-बूंद एवं फव्वारा पद्धतियों का लाभ किसानों को दिए जाने हेतु कृषि विभाग, उद्यान विभाग एवं जल संसाधन विभाग समन्वय बैठक कर लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करें. उन्होंने प्रगतिरत परियोजनाओं को समयबद्ध पूर्ण किए जाने हेतु निर्देशित किया.
बैठक में बताया गया कि गत वर्षों की तुलना में इस वर्ष में राजस्थान को रावी-व्यास नदियों से 24 प्रतिशत तथा सतलज से 9 प्रतिशत जल अधिक मिलने से उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के किसानों एवं पूर्वी राजस्थान में यमुना नदी से लगभग दोगुना जल मिलने से भरतपुर क्षेत्र के किसानों को अधिक मात्रा में जल प्राप्त हुआ है. साथ ही, यह भी अवगत कराया गया कि पंजाब द्वारा फिरोजपुर फीडर की रिलाईनिंग की डीपीआर तैयार कर ली गई है. पंजाब से नहरों के माध्यम से राजस्थान में आ रहे प्रदूषित जल की रियल टाइम मॉनिटरिंग हेतु इन्दिरा गांधी फीडर एवं बीकानेर कैनाल पर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाने हेतु कार्यादेश जारी किया जा चुका है. मुख्यमंत्री ने विभाग को पंजाब सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर अन्तर्राज्यीय समझौते के अनुसार जल प्राप्त करने की कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए.
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उल्लेखनीय है कि वर्षों से लंबित इन्दिरा गांधी फीडर और सरहिन्द फीडर की रिलाइनिंग हेतु राजस्थान, पंजाब तथा केन्द्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता दिनांक 23 जनवरी 2019 को किया गया है. इसके अन्तर्गत पंजाब द्वारा सरहिन्द फीडर की रिलाइनिंग के कार्य आरम्भ किए जाकर वर्ष 2019 में लगभग 17 किलोमीटर रिलाइनिंग पूर्ण की जा चुकी है. आगामी वर्षों में इन्दिरा गांधी फीडर व सरहिन्द फीडर के कार्य पूर्ण किए जाने प्रस्तावित है. इन कार्यों की रिलाइनिंग पूर्ण हो जाने से इन्दिरा गांधी नहरी तंत्र में निर्धारित क्षमता से पानी की प्राप्ति होगी और पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों के आमजन को लाभ होगा.