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सीएम गहलोत ने दी 'राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना' में 10 करोड़ के अतिरिक्त बजट को मंजूरी

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Published : Feb 11, 2020, 8:14 PM IST

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट से पूर्व राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 10 करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट प्रावधान को मंजूरी दे दी है. बता दें कि अपराध से पीड़ित व्यक्ति को राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना 2011 के तहत सहायता प्रदान की जाती है.

राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना , CM Ashok Gehlot News
राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट से पूर्व राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना में बड़ा तोहफा दिया है. सीएम गहलोत ने राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 10 करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट प्रावधान को मंजूरी दे दी है. राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से अतिरिक्त बजट प्रावधान का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था.

राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना में 10 करोड़ के अतिरिक्त बजट प्रावधान की मंजूरी

बता दें कि राज्य सरकार ने राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना के लिए वर्ष 2019-20 में 18 करोड़ रुपए का मूल बजट प्रावधान किया था. इसके बाद 5 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया था. कुल 23 करोड़ के बजट में से अभी तक 22.77 करोड़ रुपए का व्यय हो चुका है. विभिन्न जिलों से पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत आए करीब 7 करोड़ रुपए भुगतान के आवेदन राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास लंबित है. ऐसे में तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने 10 करोड़ रुपए के अतिरिक्त प्रावधान को मंजूरी दे दी है.

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क्या है प्रतिकर योजना

अपराध से पीड़ित व्यक्ति को राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना 2011 के तहत सहायता प्रदान की जाती है. योजना के तहत अपराध से हानि या क्षति से ग्रस्त हुए और पुनर्वास की अपेक्षा रखने वाले ऐसे पीड़ितों और उनके आश्रितों को प्रतिकर दिलवाने के लिए निधि कोष का निर्माण किया गया है. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बैठक में इन आवेदनों का निस्तारण किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और पदेन जिला एवं सेशन न्यायाधीश की ओर से की जाती है.

बैठक में कलेक्टर, एसपी, वरिष्ठ न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बार अध्यक्ष और राजकीय अधिवक्ता उपस्थित होते हैं. इस बैठक का समन्वय पूर्णकालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से किया जाता है.

प्रतिकर की मंजूरी के लिए प्रक्रिया

कोई न्यायालय आपराधिक प्रकरण में निर्णय करता है तो निर्णय के समय ही पीड़ित व्यक्ति और उसके आश्रितों को प्रतिकर दिलाए जाने की अनुशंसा न्यायालय की ओर से की जा सकती है. ऐसी अनुशंसा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रेषित की जाती है. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मामले में तथ्यों का सत्यापन करेगा. इस रिपोर्ट से पीड़ित या उसके आश्रितों को प्रतिकर की राशि देने का विनिश्चय करेगा. मोटरयान अधिनियम 1988 के अधीन आने वाले मामलों में प्रतिकर मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण की ओर से प्रदान किए जाते हैं, जो इस स्कीम के अंतर्गत नहीं आएंगे.

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