जयपुर. राजस्थान एससी आयोग के अध्यक्ष और विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने जिस तरह से सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और राजस्थान के मुख्यमंत्री की कमान सचिन पायलट को सौंपने की बात रखी, उसके बाद से राजस्थान की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई है. इस मामले में कहा जा रहा है कि खिलाड़ी लाल बैरवा इस बात से भी नाराज हैं कि 6 महीने गुजर जाने के बाद भी एससी आयोग के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें सरकार की ओर से संवैधानिक दर्जा नहीं मिला है.
इतना ही नहीं, लगातार अधिकारियों से हो रही एक के बाद एक मीटिंग से भी इस मसले का हल नहीं निकल रहा. यही कारण है कि बैरवा सरकार से नाराज हैं और पहले नाराज खिलाड़ी लाल बैरवा ने जालोर मामले में सरकार को कटघरे में खड़ा किया और अब वह प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने तक की बात (Khiladi Lal Bairwa on Rajasthan CM) कहने लगे हैं. लेकिन खिलाड़ी बैरवा की नाराजगी को अब साधने के प्रयास भी शुरू कर दिया गया है. यही कारण है कि खिलाड़ी लाल बैरवा के संविधानिक आयोग को लेकर 6 महीने से सुस्त चाल में चल रही फाइल अब तेज गति से दौड़ने लगी है.
खुद राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि एससी आयोग को अब तक संवैधानिक दर्जा नहीं देने की बात आई थी और इसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए (Tikaram Jully on Khiladi Lal Bairwa) फाइल मेरे विभाग से पास होकर निकल चुकी है. अब इसे अगली कैबिनेट में रखा जाएगा और विधानसभा के इसी सत्र में ऐसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का कानून पारित कर लिया जाएगा. मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री चाहते हैं कि एससी आयोग को जल्द से जल्द संवैधानिक दर्जा मिल सके, ताकि इसका फायदा प्रदेश के एससी समाज को मिल सके. मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि इस कानून के पास होने के बाद एससी आयोग को प्रदेश में सुनवाई के बाद निर्देश जारी करने की अलग से शक्तियां मिलेंगी और नए नियमों के बनने के बाद आयोग और ज्यादा मजबूती से समाज के ऐसे तबके के लिए काम कर सकेगा.