जयपुर. राजस्थान में बीते दो सप्ताह से गहलोत मंत्रिमंडल के फेरबदल और विस्तार को लेकर कयास चल रहे हैं. इन कयासों के बीच आज गुरुवार को प्रदेश के 6 जिलों जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, भरतपुर, जोधपुर और सिरोही जिलों के पंचायती राज चुनाव घोषित कर दिए गए हैं. अब इन चुनाव के चलते राजस्थान में संभावित कैबिनेट फेरबदल या विस्तार टल सकता है.
हालांकि, इन चुनावों से कैबिनेट विस्तार पर कोई संवैधानिक बाध्यता की परेशानी सरकार के सामने नहीं है, लेकिन आमतौर पर सरकार में बैठे राजनीतिक पार्टियां चुनाव के समय ऐसे किसी कैबिनेट फेरबदल या एक्सपेंशन से बचती हैं. यही कारण है कि यह कहा जा रहा है कि अब कैबिनेट विस्तार या फेरबदल राजस्थान में टल सकता है.
कैबिनेट विस्तार या पुनर्गठन पर संशय के बादल.... जिस मंत्री को हटाया वहां पार्टी को हो सकता है चुनाव में नुकसान...
राजस्थान में 6 जिलों में पंचायती राज चुनाव घोषित किए गए हैं, इन चुनाव से सीधे तौर पर केबिनेट एक्सपेंशन करने पर कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन जिस जिले से किसी मंत्री को हटाया जाएगा, उस जिले में पार्टी को चुनाव में उस संबंधित मंत्री की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ेगा. यही कारण है कि सरकार में बैठी राजनीतिक पार्टियां चुनाव के समय में इस तरीके की नाराजगी नहीं उठाती हैं और आमतौर पर चुनाव के बीच में कोई भी कैबिनेट फेरबदल और विस्तार नहीं होता है.
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एक्सपेंशन हो या फेरबदल, दोनों में ही नाराजगी का खतरा...
ऐसा नहीं है कि मंत्रिमंडल फेरबदल में ही पार्टी को नुकसान होगा, बल्कि विस्तार में भी दिक्कतें नाराजगी की बनी रहती हैं. हालांकि, फेरबदल में पार्टी को मंत्री हटाने पर नुकसान ज्यादा होगा, लेकिन विस्तार में भी अगर किसी जिले के प्रभावशाली विधायक को मौका नहीं मिलता है तो उसका भी नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है. ऐसे में कैबिनेट फेरबदल और विस्तार दोनों से ही राजस्थान में कांग्रेस पार्टी कि सरकार बचना चाहेगी.
कैबिनेट फेरबदल टलने की संभावना से 5 मंत्रियों को मिली नई लाइफलाइन...
राजस्थान में संभावित कैबिनेट फेरबदल में कहा जा रहा था कि कुछ मंत्रियों को संगठन की जिम्मेदारी दी जाएगी. जिसके चलते उन्हें कैबिनेट से बाहर कर संगठन में शामिल किया जाएगा. वहीं कुछ मंत्रियों पर परफॉर्मेंस के चलते गाज गिरने की बात कही जा रही थी. जिन मंत्रियों को संगठन में शामिल करने की बात चल रही थी उनमें जयपुर से मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और मंत्री लालचंद कटारिया शामिल हैं.
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इसी तरीके से दौसा जिले से मंत्री ममता भूपेश को संगठन में लेने की बात चल रही थी, तो वहीं दौसा जिले से मंत्री परसादी लाल मीणा और भरतपुर जिले से मंत्री भजन लाल जाटव को परफॉर्मेंस के आधार पर हटाया जा सकता है. हालांकि, बाकी बचे 3 जिलों में से सवाई माधोपुर और सिरोही में कांग्रेस का कोई मंत्री नहीं है, तो वहीं जोधपुर से खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आते हैं. ऐसे में इन तीन जिलों में कैबिनेट फेरबदल और विस्तार से कोई खास फर्क राजनीतिक तौर पर नहीं पड़ेगा. लेकिन बाकी तीन जिलों में अगर मंत्रियों से छेड़छाड़ की जाती है तो इसका असर सीधे तौर पर चुनाव में दिख सकता है, जिसका रिस्क संभवत: कांग्रेस पार्टी नहीं उठाना चाहेगी.
विपक्षी दल कर सकते हैं चुनाव को प्रभावित करने की शिकायत...
पंचायती राज चुनाव के बीच कैबिनेट फेरबदल और विस्तार करने में गहलोत सरकार को किसी संवैधानिक बाध्यता का सामना तो नहीं करना पड़ेगा, लेकिन जिस जिले में चुनाव है उस जिले में मंत्री बनाए जाते हैं तो उसका असर चुनाव में पड़ने की आशंका को लेकर विपक्षी दल सरकार के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत लेकर जा सकते हैं. ऐसी स्थिति से भी गहलोत सरकार बचना चाहेगी.
अंतिम निर्णय कांग्रेस आलाकमान का...
कैबिनेट विस्तार और फेरबदल के कयासों के बीच 6 जिलों के चुनाव की घोषणा ने कहीं न कहीं ब्रेक लगा दिए हैं. लेकिन अगर कांग्रेस आलाकमान यह तय कर चुका है कि उसे अगस्त महीने में ही राजस्थान में कैबिनेट विस्तार या फेरबदल करना है तो फिर अंतिम निर्णय कांग्रेस आलाकमान का ही माना जाएगा.