जयपुर. चंबल नदी का गंगा की तर्ज पर उद्धार किया जाएगा. नमामि गंगे प्रोजेक्ट (Namami Gange Yojana) में चंबल को भी शामिल किया गया है. गंगा की तर्ज पर राजस्थान में चंबल नदी में बेहद दुर्लभ गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल, उदबिवाल समेत विलुप्ति की कगार पर पहुंची प्रजातियों को बचाने की कवायद शुरू हो गई है.
यह राजस्थान की पहली मरीन वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन स्कीम है. इस स्कीम के तहत आज भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) के विशेषज्ञों ने राजस्थान वन विभाग के साथ एक अहम वर्कशॉप का आयोजन कर योजना को अमलीजामा पहनाने पर मंथन किया.
चंबल नदी का होगा उद्धार... बता दें कि गंगा की तर्ज पर राजस्थान में पहली बार किसी नदी में जलीय जीवों को बचाने के लिए यह योजना शुरू की जा रही है. नमामि गंगे योजना के तहत राजस्थान की चंबल नदी में बेहद दुर्लभ गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल उदबिवाल समेत विलुप्ति के कगार पर पहुंची प्रजातियों को बचाने की कवायद की जाएगी. इस योजना में गंगा की तर्ज पर चंबल नदी को फिर से जीवन दान देने का बुनियादी काम किया जाएगा.
योजना के काम को लेकर आज विशेषज्ञ जयपुर पहुंचे और जमीनी प्लान पर चर्चा की गई. हालांकि, वन विभाग की ओर से किए गए कार्यों की वजह से घड़ियाल कि इस साल अच्छी ब्रीडिंग हुई है. ऐसे में उदबिलाव और सबसे खास गंगा डॉल्फिन कि अगर ब्रीडिंग अच्छी होती है तो इससे उनकी तादाद भी राजस्थान की चंबल नदी में बढ़ सकेगी.
जयपुर के फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में आयोजित वर्कशॉप में वन एवं पर्यावरण विभाग की सचिव श्रेया गुहा, हेड ऑफ फॉरेस्ट फॉसेज श्रुति शर्मा और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मोहन लाल मीणा मौजूद रहे. भारतीय वन्यजीव संस्थान से भी अधिकारी इसमें शामिल रहे. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और भारतीय वन्यजीव संस्थान की मदद से राजस्थान की साल भर बहने वाली एकमात्र नदी चंबल को बचाने के लिए सरकार ने योजना बनाई है.
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किसी भी नदी को बचाने के लिए सबसे पहले उसके इकोसिस्टम को बचाया जाता है. लिहाजा यहां भारतीय वन्यजीव संस्थान और राजस्थान के वन विभाग मिलकर चंबल में संकट काल से जूझ रहे गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल, उदबिवाल को बचाया जाएगा. हालांकि, जहां गंगा डॉल्फिन और ऊदबिलाव पहले एक लंबे अंतराल तक लुप्त रही है. उसके बाद इन दोनों जीवों की चंबल में वापसी से इनके संरक्षण की कुछ उम्मीद जगी है. अवैध बजरी खनन और नदी में बढ़ती केमिकल युक्त और इंसानी गंदगी से यहां जलीय जीव लगातार संकट में आ रहे हैं.
राजस्थान वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मोहन लाल मीणा ने बताया कि मछलियों की प्रजातियां और तादाद कम हो रही है. घड़ियाल जैसे जीव संकट के दौर से गुजर रहे हैं, जबकि इसका असर अब सर्ववाइवल में सबसे माहिर माने जाने वाले मगरमच्छों पर भी पड़ने लगा है. अब तक जल में रहने वाले इन सभी जीवों की किसी ने सुध नहीं ली थी, न कोई गिनती हुई और न बचाने की कोशिश की गई. अब वन विभाग इन्हें बचाने के लिए एक विशेष अभियान चलाकर पहले इनकी संख्या का एक ऐस्टीमेशन करेगा और इसके बाद इन्हें बचाने के लिए जरूरी कदम उठाएगा.
चंबल नदी (Chambal River) में प्रदूषण कम करने की कोशिश पर मजबूती से ध्यान दिया जाएगा. ऐसे इलाकों में जहां यह जलीय जीव ज्यादा पाए जाते हैं, वहां अवैध खनन से लेकर मछली शिकार पर शिकंजा कसा जाएगा. चंबल नदी अलग-अलग स्थानों पर इन जीवो के लिए रेस्क्यू सेंटर स्थापित किए जाएंगे. जहां पर इनके लिए जरूरत पड़ने पर इलाज और रखरखाव या निगरानी की व्यवस्था हो सके. इसके साथ ही चुनिंदा जगहों पर वन विभाग की ओर से कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर बनाए जाएंगे, ताकि ऐसे संकटग्रस्त जीवो के प्रजनन को बढ़ावा देकर उनकी तादाद में इजाफा किया जा सके.