जयपुर.राजस्थान में ही नहीं, पूरे भारत में जातिवाद पर सियासत होती रही है. दलितों के उत्थान और संरक्षण के नाम पर वोट बैंक को साधने की कोशिश हमेशा होती रही है. राजस्थान वैसे ही राजा रजवाड़ों का प्रदेश रहा है, ऐसे में दलित अत्याचार पर बहस भी इसी प्रदेश में ज्यादा हुई. राजस्थान में दलित अत्याचार के आंकड़ों में वृद्धि ने चिंता बढ़ा दी है.
पिछले दिनों नागौर और बाड़मेर में युवकों की कथित दबंग समाज के बाहुबलियों ने पिटाई की. युवकों की पिटाई चोरी के शक में कई गई. इसके बाद फिर हनुमानगढ़ के पीलीबंगा में प्रेम-प्रसंग के चलते युवक को पीटने का मामला सोशल मीडिया पर सामने आया. जिसके बाद ये मामला गांव-ढाणी से निकलकर दिल्ली के हुक्मरानों तक पहुंच गई. इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसपर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन ये सिर्फ कुछ घटना है.
अगर गहलोत सरकार बनने के बाद आंकड़ों पर नजर डाले तो सामने आता है कि राजस्थान दलित उत्पीड़न और महिला अत्याचार में प्रदेश सिरमौर बन गया है. दलित समाजिक कार्यकर्त्ता एडवोकेट ताराचंद वर्मा बताते हैं कि दलितों ने एकजुटता के साथ गहलोत सरकार को वोट दिए. उन्होंने गहलोत सरकार को वोट इस उम्मीद से दिया कि उनके हितों की रक्षा होगी. लेकिन पिछली सरकार की तुलना में जब गहलोत सरकार के आंकड़ों देखते है तो दलितों के प्रति क्राइम बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि ताराचंद कहते हैं कि सरकार ने मुकदमे दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. उसकी वजह से आंकड़े बढ़ें हैं लेकिन इन मुकदमों की पेंडेंसी देखते है तो साफ समझ में आता है कि दलितों को लेकर सरकार कितनी संवेदनशील है.
यह भी पढ़ें.धौलपुर : दलित का आरोप- सम्मान से उखड़े दबंगों ने की मारपीट...मामले में कूदी भीम आर्मी
राजस्थान में दलित युवकों के साथ दिल दहलाने वाली ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो लोगों को सामाजिक व्यवस्था पर विचार करने के लिए मजबूर करती है. साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार को फिर से दलित सुरक्षा के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा कर दिया है. सोशल मीडिया पर साझा किए गए इस वीडियो में दबंगता का नंगा नाच दिखता है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ गहलोत सरकार के माथे पर अलवर के थानागाजी की सामूहिक दुष्कर्म (gang rape in Rajasthan) की घटना, चूरू जिले में दलित के किराया मांगने पर गंदा पानी पिलाना, बीकानेर में घोड़ी पर बैठने पर पथराव करना और चूरू में नाबालिग के दुष्कर्म कर गर्भवती बनाने जैसी वारदातों ने प्रदेश को दलित अत्याचार मामलों में सिरमौर बना दिया है.