जयपुर. राजधानी जयपुर में महिला आरपीएस अधिकारी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के मामले में गिरफ्तार एडवोकेट को 7 मई तक पुलिस रिमांड (Arrested advocate on police remand till 7th May in Jaipur) पर लिया गया है. सदर थाना पुलिस ने आरोपी एडवोकेट गोवर्धन सिंह को रिमांड अवधि आज पूरी होने पर फिर से न्यायालय में पेश किया. पुलिस ने न्यायालय से आरोपी की रिमांड मांगी. न्यायालय ने 7 मई तक आरोपी गोवर्धन सिंह को पुलिस रिमांड पर सौंपा है.
पुलिस ने आरोपी के ऑफिस और आवास पर पुलिस ने छापेमार कार्रवाई की है. पुलिस ने कई दस्तावेज, पेनड्राइव और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद की है. पुलिस गोवर्धन सिंह के काले चिट्ठे खोल रही है. हालांकि पुलिस की ओर से की जा रही जांच को गोपनीय रखा जा रहा है. मामले में जल्द ही बड़ा खुलासा हो सकता है. सर्च के दौरान कई अधिकारियों से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं. कई लोगों को ब्लैकमेल करने से जुड़े अहम दस्तावेज मिलने की संभावना है.
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राजधानी जयपुर की सदर थाना पुलिस ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान ड्यूटी पर तैनात महिला आरपीएस अधिकारी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के मामले में आरोपी एडवोकेट को पिछले बुधवार को गिरफ्तार किया था. बुधवार 27 अप्रैल को उच्च न्यायालय की ओर से गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाने के निर्णय के बाद आरोपी गोवर्धन सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई. पूछताछ के बाद दलित महिला पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के संबंध में अनुसूचित जाति जनजाति निवारण अधिनियम और अन्य आईपीसी धारा के तहत जुर्म प्रमाणित पाए जाने पर आरोपी गोवर्धन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था. आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया था, जहां से 4 मई तक रिमांड पर दिया गया था. रिमांड अवधि खत्म होने के बाद पुलिस ने आज फिर से आरोपी को न्यायालय में पेश कर के 7 मई तक रिमांड पर लिया है.
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क्या है पूरा मामला-
पुलिस के मुताबिक 3 अप्रैल 2020 को सदर थाने में महिला आरपीएस अधिकारी ने एडवोकेट गोवर्धन सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि कोरोना महामारी के दौरान खासा कोठी पुलिया के नीचे ड्यूटी पर थी तभी लॉकडाउन में चेकिंग को लेकर विवाद हुआ था. इस दौरान आरोपी ने अपने साथियों के साथ आपत्तिजनक तरीके से अभद्र भाषा का प्रयोग किया और देख लेने की धमकी दी थी. इस इसके बाद भी आरोपी गोवर्धन सिंह की ओर से महिला आरपीएस अधिकारी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी और महिला की गरिमा के विरुद्ध आपत्तिजनक व्यक्तिगत टिप्पणियां लगातार फेसबुक पेज पर पोस्ट की गईं. आरोपी ने महिला आरपीएस अधिकारी के राजकीय कर्तव्य के संबंध में जातिसूचक टिप्पणी भी की थी. पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की. मुकदमा दर्ज होने के बाद भी आरोपी पक्ष की ओर से कई बार आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं.
मामले की प्रारंभिक जांच एसीपी प्रमोद स्वामी ने की. इसके बाद क्राइम ब्रांच में पदस्थापित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरिता बडगूजर ने जुर्म प्रमाणित माना. मामले में फिर से जांच एडीसीबी अशोक चौहान को सुपुर्द की गई. इस दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी गोवर्धन सिंह ने उच्च न्यायालय में रिट दायर की. न्यायालय ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए अनुसंधान जारी रखने के निर्देश दिए. इसके बाद अनुसंधान अधिकारी अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त करण शर्मा की ओर से भी जुर्म प्रमाणित माना गया.