जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने एसीबी की ओर से रिश्वत के बदले अस्मत मांगने का मामला उठाया. इस पर सरकार की ओर से भी जवाब पेश किया गया. अपने जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि रिश्वत के बदले अस्मत मांगने के मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानते हुए कैलाश बोहरा को बर्खास्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
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शांति धारीवाल ने कहा कि इस तरीके की घटना पूरी पुलिस नहीं सरकार और व्यवस्था के खिलाफ एक कलंक है. कुछ दिन पहले खेड़ली अलवर में जो केस हुआ था, उसमें भी बात यही थी. कैलाश बोहरा के खिलाफ सीबीआई ने केस रजिस्टर किया और यह वहां से भी बरी हो गया. इस तरीके के 50 और केस हैं केवल राजस्थान में नहीं बल्कि देश में जहां ऐसी घटनाएं होती है.
धारीवाल ने कहा कि महिला की ओर से 3 प्रकरण दर्ज करवाया गया था, जिसका अनुसंधान सहायक पुलिस आयुक्त महिला सेल जयपुर पूर्व की ओर से किया जा रहा है. तथाकथित जांच कर रहे आरोपी ने पुलिस अधिकारी एसपी की ओर से परिवादी के पक्ष में कार्रवाई हेतु पहले पैसों की मांग की गई और बार-बार अनुसंधान के लिए बुलाते हुए अंत में उसकी अस्मत भी रिश्वत में मांगी.
आरोपी एसपी की ओर से अनावश्यक रूप से दफ्तर में बुलाने पर एसीबी ने उसको गिरफ्तार कर प्रकरण भी दर्ज कर लिया है. आरोपी अधिकारी को 15 मार्च को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है. अब आरोपी कैलाश बोहरा के खिलाफ राजस्थान सिविल सर्विस क्लासिफिकेशन कंट्रोल एंड अपील रूल्स 1958 के नियम 92 के अंतर्गत सेवा से बर्खास्त करने के लिए कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है.
नेता प्रतिपक्ष ने दिया धन्यवाद
इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सरकार और मंत्री शांति धारीवाल को धन्यवाद दिया कि उसे बर्खास्त कर दिया गया है. इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. इस तरीके की घटना राजस्थान को शर्मनाक करती है. उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिस के दागी लोग जिन्होंने पुलिस की पूरी छवि खराब कर रखी है. इस प्रकार की घटना जब भी घटित होती है तो तुरंत कानून की पूर्ति तो करनी होगी, लेकिन जैसे ही निलंबित किया बर्खास्तगी की प्रक्रिया को शुरू कर दें. साथ ही उस व्यक्ति को तब तक नौकरी पर नहीं आने दें जब तक पूरा फैसला ना हो जाए.
ऐसे लोगों को तुरंत नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए
कटारिया ने कहा कि इस तरह के केसों को हम कोर्ट में भी पीछा करें. ऐसे 10-15 केस ही होंगे, जब रक्षक भक्षक हो जाता है और पूरे राजस्थान की ऐसे प्रकरण में तोहीन हुई है. विभाग की छवि बनाने के लिए ऐसे लोगों को तुरंत नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए. अगर कोर्ट से जीतकर आ जाएगा पूरी तनख्वाह मिल जाएगी कोई चिंता नहीं, लेकिन एक बार सड़क पर ला दो ताकि उससे बाकी लोग सीख सके.
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वहीं, इस पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आपने बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी, लेकिन आपके विभाग का सर्कुलर 2003, 2005 और 2007 में साफ लिखा है कि अगर किसी भी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध किसी न्यायालय में मामला लंबित हो या 16 सीसी की कार्रवाई हो तो उसे फील्ड की पोस्टिंग नहीं दी जाएगी. उसको पोस्टिंग क्यों दी गई? जब आपने खुद माना कि सीबीआई में इसके खिलाफ मामला था तो इसको पोस्टिंग क्यों दी और किसने दी.