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Published : Nov 22, 2019, 7:54 PM IST

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राज्यसभा में उठा सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला

देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की लगातार हो रही मौत का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में भी गूंजा. राजस्थान से आने वाले भाजपा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा और रामकुमार वर्मा ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए केंद्र सरकार की ओर से इसमें दखल देने और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की.

राज्यसभा में उठा पक्षियों की मौत का मामला, Case of death of birds raised in Rajya Sabha

जयपुर. देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की लगातार हो रही मौत का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में भी गूंजा. राजस्थान से आने वाले भाजपा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा और रामकुमार वर्मा ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए केंद्र सरकार की ओर से इसमें दखल देने और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की.

राज्यसभा में उठा सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला

सांभर साल्ट ने नियमों की अवहेलना कीः किरोड़ी मीणा

शून्य काल में बोलते हुए डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि झील दुनिया भर में प्रसिद्ध है और केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय ने इसीलिए इसे अंतर्राष्ट्रीय महत्व की रामसर झील भी घोषित किया है. मीणा के अनुसार यहां सांभर साल्ट की देखरेख में ही नियमों की अवहेलना हो रही है और कई अवैध निर्माण और 150 अवैध इकाईयां यहां संचालित है.

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डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि यहां करीब ढाई से तीन लाख देशी-विदेशी पक्षी हर साल आते हैं, जिसमें 30 से 35 प्रजातियां तो काफी दुर्लभ हैं जो विदेशों में पाई जाती है. मीणा ने मांग की है कि केंद्र सरकार इस मामले में दखल दे और विशेष जांच भी करवाएं, जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो.

रामकुमार वर्मा ने सांभर झील मामले पर गहलोत सरकार पर साधा निशाना

शून्यकाल में राजस्थान से ही आने वाले भाजपा सांसद रामकुमार वर्मा ने भी यह मामला उठाते हुए प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार की कार्यशैली पर निशाना साधा. सांसद रामकुमार वर्मा ने सदन में कहा कि पिछले 20 दिन से लगातार पक्षियों की सांभर झील में मौत हो रही है और अब तक करीब 25 हजार पक्षी मारे जा चुके हैं. लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर कोई भी संतोषजनक कार्रवाई अब तक नहीं हुई. रामकुमार वर्मा ने कहा कि खुद न्यायपालिका ने भी इस संबंध में संज्ञान लिया, लेकिन फिर भी इसके समाधान के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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