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Published : Dec 14, 2020, 10:04 PM IST

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उपनिरीक्षक भर्ती में कम किए 227 पद वापस जोड़ने की मांग, अब दिल्ली कूच करने की चेतावनी

राजस्थान पुलिस की एसआई भर्ती-2016 में कम किए गए 227 पद वापस जोड़ने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों ने अब दिल्ली कूच करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि यदि घटाए गए पद वापस नहीं भरे गए, तो आंदोलन तेज किया जाएगा. उन्होंने दिल्ली में एआईसीसी जाकर कांग्रेस आलाकमान से मिलने की चेतावनी दी है.

SI recruitment candidates traveled to Delhi, एसआई भर्ती के अभ्यर्थियों ने दिल्ली कूच चेतावनी
एसआई भर्ती के अभ्यर्थियों ने दिल्ली कूच चेतावनी

जयपुर. राजस्थान पुलिस की उपनिरीक्षक भर्ती-2016 में भर्ती प्रक्रिया के बीच ही कम किए गए 227 पदों को वापस जोड़ने की मांग को लेकर अभ्यर्थी लगातार आंदोलन कर रहे हैं. अपनी इस मांग को लेकर अभ्यर्थी शहीद स्मारक पर धरना भी दे रहे हैं, लेकिन फिलहाल सरकार की ओर से इस संबंध में अभ्यर्थियों को कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है.ऐसे में अब इन अभ्यर्थियों ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.

एसआई भर्ती के अभ्यर्थियों ने दी दिल्ली कूच की चेतावनी

इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करेंगे और वहां कांग्रेस के आलाकमान से मिलकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार को इस संबंध में निर्देश जारी करने की मांग रखेंगे. एसआई भर्ती 2016 के अभ्यर्थियों का कहना है कि राजस्थान पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती-2016 में 330 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी. आयु में छूट संबंधी प्रावधानों के चलते इस भर्ती के लिए नए सिरे से 2018 में आवेदन लिए गए. तब पदों की संख्या 330 से बढ़ाकर 721 कर दी गई थी, लेकिन दुबारा आवेदन लेने पर आवेदकों की संख्या दोगुनी हो गई है.

अब वापस भर्ती प्रक्रिया के बीच ही पदों की संख्या घटाकर 511 कर दी गई है. अभ्यर्थियों का कहना है कि एसआई की भर्ती आने में करीब 10 साल का समय गुजर जाता है. जिससे अगली भर्ती तक कई अभ्यर्थी ओवरएज हो जाएंगे. इसलिए उनकी मांग है कि 227 पद वापस इस भर्ती में जोड़े जाएं. ताकि योग्य अभ्यर्थियों को मौका मिल सके.

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शहीद स्मारक पर धरना दे रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें अपनी मांग को लेकर धरना देते 8 दिन हो चुके हैं. प्रदेश के 73 विधायक, सात मंत्री, छह सामाजिक संस्थाएं और कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी इस संबंध में सरकार को पत्र लिख चुके हैं. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण यह मामला अटका हुआ पड़ा है.

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