बूंदी.जिले के देवपुरा निवासी मजदूर का डेढ़ वर्षीय पुत्र ब्लड कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहा है. गरीब परिजन अब तक अपनी जिंदगी भर की पूंजी खर्च कर चुके हैं लेकिन इलाज का खर्च 5 लाख रुपये तक होना था. डॉक्टरों ने रुपये का इंतजाम जल्द करने को कहा लेकिन बेबस पिता के पास पैसे नहीं थे. ऐसे में मासूम का इलाज भी बंद हो गया. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया जिसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले को संज्ञान में ले लिया और रोहित के परिजनों को फिर से उम्मीद की किरण दिखने लगी. डेढ़ वर्ष के मासूम को जयपुर बुला लिया गया है और वहां उसका इलाज भी शुरू हो गया है.
कैंसर पीड़ुित रोहित को मिली सरकार से मदद महंगाई के इस दौर में 250 रुपये रोज कमाने वाले दिहाड़ी मजदूर हंसराज को जब यह पता चला कि उसके डेढ़ साल के बेटे रोहित को ब्लड कैंसर है, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. उसे यकीन नहीं हुआ कि कैसे उसका मासूम बच्चा इतनी गंभीर बीमारी का शिकार हो सकता है. बच्चे को गोद में लेकर दिनभर अस्पताल के चक्कर काटने के साथ कई डॉक्टरों से भी संपर्क किया लेकिन सबने ने रोहित को ब्लड कैंसर से पीड़ित बताया. काफी इलाज के बाद पैसों के अभाव में रोहित का इलाज बंद करना पड़ा.
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इस खबर को ईटीवी भारत ने जब प्रमुखता से दिखाया तो प्रशासन और शासन भी चेता. सीएम कार्यालय की ओर से परिवार से तत्काल संपर्क किया गया. ब्लड कैंसर से जूझ रहे गरीब मजदूर हंसराज किराड़ के डेढ़ वर्षीय पुत्र रोहित को बचाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से मदद के लिए हाथ बढ़ाए गए. समाजसेवी चर्मेश शर्मा ने भी मुख्यमंत्री कार्यालय को बच्चे के पिता की गरीब आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए उसके जीवन को बचाने के लिए सहायता मांगी थी.
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मासूम बच्चे के जीवन से जुड़ा मामला होने पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने तत्परता दिखाते हुए जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी, बच्चों के जेकेलोन चिकित्सालय जयपुर के अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता, बच्चों के विशेषज्ञ डॉ. कपिल गर्ग को निर्देश दिया कि रोहित को हर आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए. मुख्यमंत्री के ओएसडी शशिकांत शर्मा ने भी रोहित के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली.
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में शुरु हूआ रोहित का इलाज बच्चे को लेकर पहुंचे जयपुर, हर संभव प्रयास करेंगे: डॉ. भंडारीबच्चे को बचाने के लिए शुरू से प्रयासरत रहे समाजसेवी चर्मेश शर्मा एवं देवराज गोचर को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जयपुर बुलाया गया. इसके बाद दोनों समाज सेवी रोहित, उसके पिता हंसराज किराड़ और मां ममता को लेकर इलाज के लिए जयपुर रवाना हो गए. जयपुर में मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश के बाद चिकित्सकों की टीम रोहित के इलाज के लिए तैयार थी. रोहित को विशेषज्ञ डॉ. कपिल गर्ग को दिखाया गया. बच्चे की मां ने कहा कि रोहित कुछ दिनों से अच्छी तरह खा नहीं पा रहा है. इस पर डॉ. गर्ग ने रोहित के पुराने इलाज के कागजात व रिपोर्ट देखकर कहा कि बीच में इलाज छोड़ने से समस्या बढ़ गई है.
रोहित को जेकेलोन कॉलेज की यूनिट 4 में तत्काल भर्ती कर इलाज शुरू किया गया और ब्लड सैंपल लेकर आवश्यक जांचें भी की गईं. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सुधीर भंडारी ने चिकित्सकों से रोहित के स्वास्थ्य की जानकारी ली. उन्होंने भरोसा दिया कि रोहित के उपचार में हर संभव प्रयास किया जाएगा. अधिकतम दवाएं भी नि:शुल्क उपलब्ध करवायी जाएगी.
परिवार की माली हालत बदतर, पिता करते हैं मजदूरी
दारु गोदाम में रोजाना सिर्फ 250 रुपये में खाली बोतलें ढोने का काम करने वाले देवपुरा निवासी दिहाड़ी मजदूर हंसराज किराड़ के मासूम बेटे रोहित ब्लड कैंसर की गम्भीर बीमारी से जूझ रहा है. गरीबी के बावजूद पिता हंसराज ने कर्ज लेकर जयपुर मणिपाल चिकित्सालय में कर्ज लेकर बच्चे का इलाज करवाया लेकिन डेढ़ लाख रुपए तक खर्च करने के बाद वह मजबूर हो गया. घर की माली हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि उनके लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पानी भी मुश्किल हो गया है.
हांलाकि अब मासूम रोहित का उपचार जयपुर के एसएमएस अस्पताल में शुरू हो गया है. उम्मीद है कि मासूम का इलाज होगा. उधर, बूंदी में भी कुछ सामाजिक संस्थाओं ने पीड़ित के पिता से संपर्क किया है और उन्हें आर्थिक सहायता देने की बात कही है.