जयपुर.प्रदेश की गहलोत सरकार में एक बार फिर ये साफ हो गया है कि अफसरशाही सरकार के मंत्रियों पर भारी है. ऐसा इसलिए कि पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के अंतिम 6 महीने में किए गए फैसलों की समीक्षा के लिए बनी मंत्रिमंडल सब कमेटी ने 8 मीटिंग के बाद समीक्षा करने से इंकार कर दिया है. कमेटी ने अब तक किए कार्यों की समीक्षा के साथ अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप रही है.
मंत्रिमंडल सब कमेटी ने समीक्षा करने से किया इंकार मुख्यमंत्री को जो रिपोर्ट सौंपी जा रही है उसमें यह कहा जा रहा है कि अधिकारी समय पर पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, जिसके कारण समीक्षा करने में समय लग रहा है. पिछली सरकार के अंतिम 6 महीने के फैसलों की समीक्षा के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी ने अब समीक्षा योग्य सारी पत्रावलियों को संबंधित मंत्रियों के स्तर पर समीक्षा कराने का निर्णय लिया है.
पढ़ें- नागौर: शिक्षा विभाग की मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन, कलेक्टर ने दिए आवश्यक दिशा-निर्देश
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में बनी कैबिनेट कमेटी की बुधवार को हुई अंतिम बैठक महज 5 मिनट में पूरी हो गई और कमेटी का काम पूरा बताते हुए मंत्रियों के स्तर पर निर्णय करने का फैसला कर दिया. सब कमेटी अब अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को देगी और उसमें अनुशंसा करेगी कि पिछली सरकार की शेष कामकाज की समीक्षा विभाग के मंत्रियों के स्तर पर कराई जाए.
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि सब कमेटी ने बुधवार को अपनी पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है, जो मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी. उन्होंने बताया कि बार-बार बैठक में अधिकारियों से विभागों की रिपोर्ट मांगी, लेकिन 14 विभाग ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक पूरी सूचना नहीं दी है. धारीवाल ने बताया कि कमेटी का गठन हुए एक साल से ज्यादा हो गया है, कमेटी ने 8 बार बैठक कर ली है. लेकिन 14 विभागों ने सूचना उपलब्ध नहीं कराई है. उन्होंने बताया कि विभाग से सूचना जिस फॉर्मेट में मांगी जा रही है, उसमें उपलब्ध नहीं कराई गई है और विभाग बार-बार अधूरी जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं.
इस कारण कमेटी अब नहीं करेगी समीक्षा...
मंत्री धारीवाल ने कहा कि अब कुछ दिन बाद विधानसभा सत्र शुरू हो जाएगा और उसके बाद निगम, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव होने हैं, इस कारण कमेटी आगे समीक्षा नहीं कर सकती है. उन्होंने बताया कि अब तक कुल 21 विभागों की बिंदुवार समीक्षा की जा चुकी है. जिनमें से 1067 ऐसे मामले सामने आए जिसमें पूर्ववर्ती सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम 6 महीने में फैसले लिए और इनमें से 8 मामले ऐसे हैं, जिन्हें सब कमेटी ने निरस्त कर दिया. साथ ही विभाग ने इन 8 मामलों में से 6 मामलों में कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि इसके अलावा 30 विभाग ऐसे भी हैं, जिनमें पूर्ववर्ती सरकार ने कोई लाभ नहीं दिया था.
सीएम गहलोत ने इसलिए किया था कमेटी का गठन...
बता दें कि प्रदेश में गहलोत सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल सब कमेटी का गठन इसलिए किया था, क्योंकि सरकार को लग रहा था कि पूर्ववर्ती सरकार ने कार्यकाल के अंतिम 6 महीने में कई बड़े फैसले लेकर उद्योगपतियों, व्यापारियों सहित कई संस्थाओं को आउट ऑफ टर्न जाकर लाभ दिया. लेकिन सब कमेटी ने 1067 मामलों में सिर्फ 8 मामले ही ऐसे माने जिनमें लाभ दिया गया है यानि 1059 मामलों में सही पाया गया.