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यहां बीमार पेड़ों की सेवा करती है Tree Ambulance, आठ साल से दे रही 'सांसें'

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Published : Jul 24, 2022, 1:28 PM IST

अगली पीढ़ी के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता के सपने को लेकर जयपुर (Tree Ambulance in Jaipur) के सुशील बीते 8 सालों से न सिर्फ पेड़ लगाने का, बल्कि पेड़ के संरक्षन का भी काम कर रहे हैं. 'ट्री एंबुलेंस' पेड़ों के लिए खाद, बीज, उपकरण और कीटनाशक ढोने का काम करती है. उन्होंने खुद की एक टीम बनाई और नाम दिया 'टीम 10'. ये टीम हर रोज सुबह तय स्थान पर पहुंचती है और दिन के करीब 3 घंटे पेड़-पौधों के बीच गुजारते हैं.

Tree Ambulance in Jaipur
8 सालों से चला रहा है 'ट्री एंबुलेंस'

जयपुर.जयपुर के कारोबारी सुशील अग्रवाल ने 8 साल पहले टीम 10 के नाम (Tree Ambulance in Jaipur) से एक सपने को लेकर विद्याधर नगर की ग्रीन बेल्ट को संवारने का काम शुरू किया था. साल 2014 से शुरू हुई पर्यावरण बचाने की मुहिम 'ट्री एंबुलेंस' दो लोगों के साथ शुरू हुई थी. आज इस टीम में 100 से ज्यादा लोग शामिल हैं. यह लोग 1 लाख से ज्यादा पौधा रोपण कर चुके हैं. वहीं 3 लाख से ज्यादा पेड़-पौधों की देखभाल भी कर रहे हैं.

सुशील अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने अपनी कार को एंबुलेंस के नाम से समर्पित कर दिया. यह कार पेड़ों के लिए खाद, बीज, उपकरण और कीटनाशक ढोने का काम करती है. यह टीम स्वच्छता और सार्वजनिक दीवारों की साफ सफाई का काम भी करती है. पेड़-पौधों को पानी देने के लिए करीब 16 टैंकर हर रोज इस्तेमाल किए जाते हैं. पानी की बचत और पेड़ों में नमी बनाए रखने के लिए यह टीम क्लेपॉट सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करती है. क्लेपॉट में छेद करके उसे पेड़ के आसपास रख दिया जाता है, जो करीब 1 हफ्ते तक वहां की मिट्टी में नमी बनाए रखने का काम करती है.

8 सालों से चला रहा है 'ट्री एंबुलेंस'

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ट्री एंबुलेंस में दवाइयों से लेकर औजारें भी हैं मौजूद:ट्री एंबुलेंस ने अब तक करीब 11 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पेड़ पौधे लगाए हैं. टीम के सभी सदस्य रोजाना सुबह करीब 5:45 पर तय स्थान पर पहुंचते हैं और हर दिन करीब 3 घंटे का समय इन पेड़-पौधों के बीच बिताते हैं. ट्री एंबुलेंस के नाम से शुरू की गई इस पहल में वे सारी दवाइयां और औजार कार में मौजूद होते हैं. जिसे पेड़ लगाने से लेकर पेड़ बचाने तक में इस्तेमाल किया जाता है.

8 सालों में कभी नहीं ली छुट्टी: ट्री एंबुलेंस में पानी के साथ दीमक लगे पेड़-पौधों के इलाज का भी इंतजाम होता है. साथ ही क्षतिग्रस्त और बिखरे हुए पेड़ों को संवारने के लिए मशीनरी भी मौजूद रहती है. टीम 10 ने अपने इलाके को साफ सुथरा और हरा-भरा दिखाने के साथ-साथ यहां कचरे को फैलने से रोकने के भी पर्याप्त इंतजाम किए हैं. लोगों ने आपसी सहयोग से सीमेंट से बने हुए करीब 500 डस्टबिन लगाए हैं, ताकि कूड़ा इन पेड़ों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाए. टीम का नेतृत्व करने वाले सुशील अग्रवाल कहते हैं कि टीम ने बीते 8 सालों में कोई भी छुट्टी नहीं ली है. अगर कोई सदस्य किसी कारण नहीं पहुंच पाता तो टीम के बाकी सदस्य काम को जारी रखते हैं.

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