जयपुर. प्रदेश के 20 जिलों के 90 नगर निकायों में 28 जनवरी को होने वाले चुनाव में इस बार भाजपा के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इनमें केंद्रीय मंत्री से लेकर लोकसभा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री, प्रतिपक्ष के नेता और उप नेता सहित 19 सांसद 27 विधायक और कई प्रदेश पदाधिकारियों के नाम शामिल हैं. पिछले 50 निकायों के चुनाव में मिली हार के गम को भाजपा आने वाले चुनाव जीत कर भुलाना चाहती है. लेकिन इसके लिए इस बार काफी पसीना बहाना होगा.
निकाय चुनाव में भाजपा के दिग्गजों की साख दांव पर... प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकायों में आगामी 28 जनवरी को चुनाव होंगे और 31 जनवरी को परिणाम भी सबके सामने होंगे. प्रदेश में विपक्ष में बैठी भाजपा चाहती है कि इनमें से अधिकतर निकायों में बीजेपी का कब्जा हो. इसके लिए हाल ही में चुनाव प्रभारी भी लगाए गए जिसमें पार्षद से लेकर मौजूदा सांसद और विधायक की जिम्मेदारी तय की गई है. मतलब साफ है कि बीजेपी चुनाव में किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहती.
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अधिकतर निकायों में है भाजपा का कब्जा
ऐसे भी वर्तमान में यदि 90 निकायों की बात की जाए तो इनमें से 1 नगर निगम सहित 60 निकायों में भाजपा का कब्जा था. जबकि 25 निकायों में कांग्रेस और 5 निकायों में निर्दलीय का कब्जा था. जिन नगर निकायों में भाजपा का कब्जा रहा है वे इस प्रकार हैं
नगर निगम : अजमेर नगर निगम के चुनाव में भाजपा का कब्जा था.
नगर परिषद : भीलवाड़ा,प्रतापगढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, बूंदी और किशनगढ़ नगर परिषद में भाजपा ने पिछले चुनाव में कब्जा किया था.
नगर पालिका : देशनोक, श्रीडूंगरगढ़,संगरिया, रतनगढ़,सरदार शहर, बिदासर, तारानगर, छापर,राजलदेसर, खेतड़ी, बगड़, उदयपुरवाटी, मंडावा, सूरजगढ़, चिड़ावा,फतेहपुर शेखावटी, श्रीमाधोपुर, केकड़ी,सरवाड़,डेगाना, लाडनूं, कुचामन सिटी, नावा, मुंडवा, देवली, मालपुरा,निवाई, टोडारायसिंह,मांडलगढ़, आसींद,गुलाबपुरा, सांचौर, बाली, फालना स्टेशन, रानी खुर्द, तखतगढ़,सोजत, फतेहनगर,सलूंबर, छोटी सादड़ी, बड़ी सादड़ी, कपासन, बेंगू, कुशलगढ़,सागवाड़ा,पिड़ावा, भवानी मंडी, अकलेरा, केशवरायपाटन, लाखेरी, इंदरगढ़, कापरेन, नैनवा नगर पालिकाओं में वर्तमान में भाजपा का कब्जा था.
20 जिलों के 90 निकायों में 28 जनवरी को है चुनाव... मौजूदा 90 नगर निकायों में होने वाला यह चुनाव 20 लोकसभा सीट और 70 विधानसभा सीटों को प्रभावित करेगा. इनमें यदि विधानसभा सीटों की बात की जाए तो 70 में से 27 पर भाजपा का कब्जा है. वहीं 20 लोकसभा सीटों में से 19 पर बीजेपी के सांसद भी हैं. मतलब साफ है की भाजपा के इन विधायक और सांसदों की तो प्रतिष्ठा सीधे तौर पर इन चुनाव पर दांव पर है.
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भाजपा के इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
बूंदी ,कोटा संसदीय क्षेत्र में ही आता है और यहां से भाजपा के सांसद है ओम बिरला. जो वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष भी हैं. यहां नगर परिषद के साथ ही पांच नगर निकायों में चुनाव है. पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे झालावाड़ से आती हैं जहां एक नगर परिषद के साथ ही नगर पालिका में चुनाव है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
31 जनवरी को आएंगे निकाय चुनावों के परिणाम क्योंकि बीकानेर संसदीय क्षेत्र में तीन नगर पालिकाओं में ये चुनाव होने हैं. बाड़मेर जैसलमेर से भाजपा सांसद और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के संसदीय क्षेत्र में आने वाले पोखरण में भी नगर पालिका के चुनाव है. उदयपुर जिले से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया आते हैं और जिले में 3 निकायों में चुनाव होने हैं. वहीं चूरु जिले से प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ आते हैं जहां 7 निकायों में ये चुनाव होने हैं. मतलब इनकी 7 दिन छोटे चुनाव में दांव पर लगी है. वहीं अजमेर निगम के चुनाव में मौजूदा भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री रहे वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल के साथ ही भाजपा सांसद की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
इसी तरह जिन जिलों में भी भाजपा से जुड़े सभी सांसद है और 27 विधायक हैं यह प्रतिष्ठा के चुनाव है. क्योंकि यदि लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली निकायों में भाजपा का कमल मुरझाया तो सीधे तौर पर परफोर्मेंस बड़े नेताओं की ही खराब मानी जाएगी. चुनाव के लिए जिन्हें प्रभारी लगाया गया है सीधे तौर पर चुनाव परिणाम उनके भी परफॉर्मेंस रिपोर्ट तय करेंगे.
इन दिग्गजों की साख का है सवाल... मन में डर लेकिन जुबान पर जीत का दावा
हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि जिस तरह के परिणाम पंचायत राज चुनाव में भाजपा के पक्ष में आए थे उससे भी अधिक सफलता के 90 निकायों के चुनाव में बीजेपी को मिलेगी. इसके पीछे इन नेताओं के पास कई तर्क भी हैं और सियासी तौर पर प्रदेश सरकार के 2 साल के कार्यकाल की विफलता भी गिनाते हैं.
अब ये बात और है कि हाल ही में 50 नगर निकाय के चुनाव में बीजेपी को अधिकतम निकायों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था और इसका एहसास भी भाजपा के नेताओं को बखूबी है लेकिन बयानों के जरिए वो इसे स्वीकार करने से बचते हैं. इन चुनाव का परिणाम सीधे तौर पर इन सभी दिग्गजों की परफॉर्मेंस भी तय करेगा कि राजनीति में चुनाव के जरिए ही नेता हो के कामकाज और परफॉर्मेंस का आकलन होता है. लेकिन इस बात को भी सीधे तौर पर ना करके यह दावा करते हैं कि जीत भाजपा की होगी. परिणाम आने के बाद वे यह साबित भी कर देंगे.
दावे सियासी हैं लेकिन इनकी हकीकत की धरातल 31 जनवरी को नापी जा सकेगी. जब मतदाताओं के जनादेश का पिटारा खुलेगा.