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शेखावत मामले में जोशी के बयान से भड़की भाजपा, कहा- मोदी कैबिनेट की चिंता छोड़ गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार पर दो ध्यान - मुख्य सचेतक महेश जोशी

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह के कथित वायरल ऑडियो (Viral Audio) से जुड़े मामले में निचली अदालत के पुलिस को वॉयस सैंपल (Voice Sample) लेने की अनुमति देने के बाद आए मुख्य सचेतक महेश जोशी के बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि जोशी मोदी मंत्रिमंडल की चिंता छोड़कर गहलोत मंत्रिमंडल के प्रस्तावित विस्तार पर ध्यान दें.

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शेखावत मामले में जोशी के बयान से भड़की भाजपा

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Published : Jul 8, 2021, 1:45 PM IST

जयपुर. शेखावत मामले में जोशी के बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है. वहीं, बहरोड़ विधायक के एसडीएम से की गई बदसलूकी मामले में भी गहलोत सरकार (Gehlot Government) को घेरा है. रामलाल शर्मा (Ram Lal Sharma) ने एक बयान जारी कर कहा कि निचली अदालत ने इस मामले में जो भी निर्णय दिया है, उसके बारे में किसी प्रकार की कोई टिप्पणी नहीं की जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि महेश जोशी (Mahesh Joshi) केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Minister Gajendra Singh Shekhawat) को बर्खास्त करने का बयान बार-बार दे रहे हैं, लेकिन गहलोत सरकार में पड़ी फूट पर ध्यान नहीं दे रहे.

शेखावत मामले में जोशी के बयान से भड़की भाजपा...

रामलाल शर्मा ने आगे कहा कि महेश जोशी को मोदी सरकार विस्तार में क्या होना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में सोचने के बजाय गहलोत सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार कब तक होगा, इस बारे में फोकस करना चाहिए. क्योंकि अलग-अलग खेमों में बंटी (Gehlot VS Pilot) गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद अलग-अलग धड़ों के विधायकों को है.

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बहरोड़ विधायक द्वारा SDM से की गई बदसलूकी पर किया यह कटाक्ष...

वहीं, बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव द्वारा एसडीम से हाल ही में की गई बदसलूकी और अपशब्दों के प्रयोग को लेकर भी भाजपा प्रवक्ता ने प्रदेश सरकार को घेरा है. रामलाल शर्मा ने कहा कि जिन निर्दलीय विधायकों (Independent MLAs) के सहारे प्रदेश सरकार टिकी है, वे लोक सेवकों के साथ चाहे जितनी बदसलूकी करें और उन्हें कमरे में कैद तक कर दें, लेकिन प्रदेश सरकार ऐसे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती. यहां तक कि उन्हें चेतावनी तक नहीं देती. शर्मा ने कहा कि इससे राजस्थान के अधिकारियों का मनोबल टूट रहा है और जब अधिकारियों का मनोबल टूटेगा तो सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को निचले स्तर तक कौन लेकर जाएगा.

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